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१३०. कैसे-कैसे बली भूप भूपर (भूध० ) १३१. कोई नहिं सरन सहाय जगत में भाई (जिने ० ) १३२. खेलत फाग महामुनि वन में (कुञ्जी ० ) १३३. गरव नहीं कीजे रे नर निपट गँवार (भूध० ) १३४. गरब नहीं कीजे रे ऐ नर निपट गँवार (भूध० )
१३५. गिरनारी पै ध्यान लगाया (भाग ० )
१३६. गिरि वनवासी मुनिराज (भाग ० ) १३७. गुरु कहत सीख इमि बार - बार (दौल०) १३८. गुरु दयाल तेरा दुख लखि कै (बुध० ) १३९. गुरु ने पिलाया जी ज्ञान पियाला (बुध ० ) १४०. गुरु समान दाता नहिं कोई (द्यान० ) १४१. ज्ञान जिहाज बैठ गनधर (भूध० ) १४२. ज्ञान बिन थान न पावौगे (बुध ० ) १४३. ज्ञान महावत डारि सुमति (नन्दब्रह्म०) १४४. ज्ञान सरोवर सोई हो भविजन (द्यान० )
१४५. ज्ञान स्वरूप तेरा तू अज्ञान (सुख० ) १४६. ज्ञानी ऐसी होरी मचाई (दौल०)
१४७. ज्ञानी ज्ञानी नेमिजी तुम ही हो ज्ञानी (द्यान० ) १४८. ज्ञानी जीव दया नित पालैं (द्यान० ) १४९. ज्ञानी जीव निवार भरम (दौल०) १५०. ज्ञानी जीवन के भय होय न (भाग ०) १५१. ज्ञानी थारी रीति रे ! अचम्भौ (बुध ० )
१५२. ज्ञानी मुनि छै ऐसे स्वामी (भाग ० )
१५३. घट में परमातम ध्याइवे हो (द्यान० ) १५४. घड़ी दो घड़ी मंदिर जी में जाया करो (जिने ० ) १५५. चन्द जिनेसुर नाथ हमार, महासेन सुत लागत प्यारा
(बुध ० )
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