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(१८८) बैठि सभा में बहु उपदेशे, आप भये पर वीना। ममता डोरी तोरी नाही उत्तम तैं भय हीना' ॥जिया तै. ॥ २ ॥ 'द्यानत' मन बच काय लायकै निज अनुभव चितदीना ।। अनुभव-धारा ध्यान विचारा, मंदिर कलश नवीना ॥ जिया तै. ॥ ३ ॥
१४. होली (पद ५०७-५१९)
(५०७)
राग-असावरी जोगिया जल्द तेतालो चेतन खेल सुमति संग होरी ॥ चेतन ॥ टेक ॥ तोरि' आनि की प्रीति सयाने भली बनी या जौरी ॥ चेतन. ॥ १॥ डगर डगर डोले है यौँ ही, आव आपनी पौरी । निज रस फगुवा क्यों नहि बांटो नातर ख्वारी तोरी ॥ चेतन. ॥ २ ॥ छार१ कषाय त्यागि या गहिलै१२ समकित केसर घोरी । मिथ्या पाथर१३ डारि" धारि लै,५ निज गुलाल की झोरी ॥ चेतन. ॥ ३ ॥
खोटे भेष धरै डोलत है दुख पावै बुधि भोरी६ । 'बुधजन' अपना भेष सुधारो ज्यों विलसो शिवगोरी ॥ चेतन. ॥ ४ ॥
(५०८) और सबै मिलि होरि रचावें हूं काके ८ संग खेलौगी होरी ॥ टेक ॥ कुमति हरामिनि ज्ञानी पियापै लोभ मोह की डारी ठगौरी२° । भोरै झूठ मिठाई खबाई खोसि२१ लये गुन करि बरजोरी२२ ॥ काके. ॥१॥ आपहि तीन लोक के साहिब कौन करै इनके सम जोरी । अपनी सुधि कबहूं नहिं लेते, दास भये डोले पर पोरी ॥ काके ॥ २ ॥ गुरु 'बुधजन तें' सुमति कहत है, सुनिये अरज२२ दयाल सु मोरी । हो हा करत हूं पांय परत हूं चेतन पिय कीजे मो ओरी ॥ काके ॥ ३ ॥
(५०९) निजपुर आज मची होरी ॥ निजपुर ॥ टेक ॥
१.नीच २. होली ३. तोड़कर ४. जोड़ी ५. गली-गली ६. ड्योढ़ी ७. फाग ८. अन्यथा ९. वरवादी १०. तोड़ी ११. छोड़कर १२. ग्रहण करले १३. पत्थर १४. डाल कर फेंककर १५. धारण कर ले १६. भोली १७. मोक्ष १८. किसके १९. हरामी २०. ठगाई २१. छीन लिये २२. जबरदस्ती २३. प्रार्थना २४. मेरी तरफ ।
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