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अबकी चूकत' फिर नहिं पाया, बार बार समझाया ॥ सुन. ॥ ५ ॥ बालपने में खेला खाया जोवन ब्याह रचाया । अर्द्धमृतक सम जरा' अवस्था यों ही जनम गंवाया ॥ सुन. ॥ ६ ॥ जिसमें ज्ञान ध्यान की समता ममता को विसराया । 'मंगल' तिस योगी चरणों में जग ने शीश नवाया ॥ सुन. ॥ ७ ॥
महाकवि भूधरदास
(४५५) कैसे-कैसे बली' भूप भूपर विख्यात भये । बैरी कुल कांपै नेकु' भौहों के विकार सौं । लंघे गिरि सायर दिवायर सौं दिपै जिनौ, कायर किये हैं भट को दिन हुंकार सौं । ऐसे महामानी मौत आये हू न हार मानी, क्यों ही उतरे न कभी मानके' पहार सौं । देव सौं न हारे पुनि दाने २ सौं न हारे और, काहू सौं न हारे एक हारे होनहार३ सौं ॥
(४५६) लोह मई कोट केई कोटन की ओर करौ । कांगुरेन'४ तोप रोपि राखो पट५ भेरिफैं । इन्द्र चन्द्र चौंकायत चौकस६ है चौकी देह, चतुरंग चमू७ चहूं ओर रहौ धोरिकै ॥ तहाँ एक भौहिरा" बनाय बीच बैठो पुनि। बोलौ मति कोऊ जो बुलावै नाम टेरिकैं। ऐसें परपंच-पांति रचौ क्यों न भांति भांति । कैसे हू न छारै२० जम देख्यौ हम हेरिकै२१ ॥
१.चूकने पर २.बुढापा ३.बलवान राजा ४.शत्रु समूह ५.थोड़े से भौहें के टेढ़ा करने से ६.सागर, समुद्र ७.सूर्य की तरह ८.चमकना ९.योद्धा १०.किसी प्रकार भी ११.गर्व के पर्वत को १२.दानव से १३.भवितव्य १४.कंगूरो पर तोप लगाकर १५.किवाड़ बंद करके १६.सावधान १७.सेना १८.मोहरा १९.पुकार कर २०.छोड़ना २१.खोजकर ।
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