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अनेकान्तशासन की सिद्धि अनेकान्तसिद्धि का उपसंहार स्याद्वाद की महिमा
ज्ञानी और अज्ञानी का भेद
समयसार
अनेकान्तभूमिका की प्राप्ति का उपाय
उसी को आत्मा की उपलब्धि का कथन
शुद्ध स्वभाव की प्राप्ति की आकांक्षा
ज्ञानी एक अखण्ड आत्मा की भावना करता है
ज्ञानी का वस्तुतत्त्व का जानना
आत्मा की अनेकरूपता ज्ञानियों के लिए भ्रमोत्पादक नहीं
आत्मा का आश्चर्यजनक वैभव
आत्मा की आश्चर्यजनक महिमा का वर्णन
चिच्चमत्कार का स्तवन
अमृतचन्द्रस्वामी श्लेषालंकार से अपना नाम देते हुए आत्मज्योति की
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आकांक्षा करते हैं
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समस्त अज्ञान का विज्ञानघन में परिणमन टीकाकार अमृतचन्द्रस्वामी का आत्मख्यातिटीका के प्रति अकर्तृत्व का सूचन २७७
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