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प्रस्तावना पत्र लिखे हैं, जिनमें तत्त्व का अच्छा उपदेश भरा हुआ है। उन पत्रों के कई संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। आप प्रवचनकला के पारंगत विद्वान् थे। कठिन-से-कठिन विषय को इतनी सरलता से समझाते थे कि श्रोता मन्त्रगग्ध से रह जाते थे। 'वर्णीवाणी' के नाम से आप के उपदेशों, सन्देशों एवं पत्रों का चार भागों में प्रकाशन ग० वर्णी ग्रन्थमाला वाराणसी से हो चुका है।
___ विक्रम संवत् २०१८ भाद्रपद कृष्ण ११ को ईसिरी में मुनि अवस्था में आप का समाधिमरण हुआ। खेद है कि उनकी यह रचना उनके जीवनकाल में प्रकाशित नहीं हो सकी। आपका मुनि अवस्था का नाम श्री १०८ गणेशकीर्ति महाराज था।
सागर, श्रावणशुक्ला १०, २०२६ विक्रमाब्द
विनीत पन्नालाल जैन
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