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________________ ४६८ कहते हैं। भेदविज्ञान समयसार गाथा १९ शरीर तथा कर्मजन्य विकारीभावों से आत्मा को पृथक् भेदविज्ञान जानना है। मनः पर्ययज्ञान २०४ जो इन्द्रियों की सहायता के बिना दूसरे के मन में स्थित रूपी पदार्थों को जानता है उसे मनःपर्यायज्ञान कहते हैं। इसके २ भेद हैं१. ऋजुमति और २. विपुलमति । मार्गणास्थान ५३ जिनमें जीव की खोज की जाये उसे मार्गणा कहते हैं। इसके गति, इन्द्रिय, काय, योग, वेद, कषाय, ज्ञान, संयम, दर्शन, लेश्या, भव्यत्व, सम्यक्त्व, संज्ञित्व और आहार के भेद से चौदह भेद हैं। मिथ्यात्व ८७ परपदार्थ से भिन्न आत्मा की प्रतीति नहीं होना मिथ्यात्व है। अथवा जीवादि सात तत्त्वों या नौ पदार्थों का यथार्थ श्रद्धान नहीं होना मिथ्यात्व है। मुक्ति २७३ (क) जीव की समस्त कर्मरहित शुद्ध अवस्था । मेचक १६ आत्मा की कर्मोंदय से कलुषित अवस्था को मेचक कहते हैं। Jain Education International गाथा आत्मप्रदेशों में होनेवाले परिस्पन्द को योगस्थान कहते हैं। राग १५ प्रीतिरूप परिणाम लवणखिल्यलीला जिस प्रकार नमकडली सब ओर से खारी है। उसी प्रकार आत्मा सब ओर से ज्ञायक स्वभाव है। वर्ग ५१ ५२ अविभागप्रतिच्छेदों के धारक कर्म परमाणुओं को वर्ग कहते हैं। वर्गणा वर्गों के समूह को वर्गणा कहते हैं। वात्सल्य अंग २३५ साधुओं के मोक्षमार्ग में स्नेहभाव होना । विकल्प १३ चारित्रमोह के उदय से परपदार्थों में जो ममत्वभाव होता है उसे विकल्प कहते हैं। विशुद्धिस्थान ५४ कषाय के उदय की मन्दतारूप स्थान | वेद्य-वेदभाव २१६ आत्मा जिस भाव का वेदन करता है वह वेद्य है और वेदन करनेवाला आत्मा वेदक हैं। ५२ व्यवहारनय ११ जो किसी अखण्डद्रव्य में गुण गुणी का भेद होनेवाले भावों को दूसरे द्रव्य का जानता करता है। अथवा दूसरे द्रव्य के संयोग से है वह व्यवहारनय है। मोक्षपथ १५५ जीवादि पदार्थों का श्रद्धानरूप सम्यक्त्व, उनके ज्ञानरूप सम्यग्ज्ञान और रागादिक परित्यागरूप चारित्र ये तीनों ही मोक्ष के पथ हैं। व्रत २७३ योगस्थान ५३ हिंसादि पाँच पापों के त्याग को व्रत कहते काय, वचन और मन के निमित्त से हैं। यह त्याग एकदेश और सर्वदेश की For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003994
Book TitleSamaysara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshprasad Varni
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year2002
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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