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सर्वविशुद्धज्ञानाधिकार
३७९ अर्थ- मोहविलास के विस्तार स्वरूप, उदयागत समस्त कर्मसमूह की आलोचना कर मैं कर्मरहित चैतन्यस्वरूप आत्मा में अपने आप निरन्तर वर्तता हूँ।
भावार्थ- वर्तमान काल में उदय में आते हए कर्मों के विषय में ज्ञानी जीव ऐसा विचार करता है कि यह सब मोह के विलास का विस्तार है अर्थात् अज्ञान से जायमान है, यह मेरा स्वरूप नहीं है, मैं तो समस्त कर्मों से रहित चैतन्यस्वरूप हूँ, उसी में मुझे लीन रहना चाहिये।।२२६।।
इस तरह आलोचना कल्प समाप्त हुआ। अब प्रत्याख्यान सम्बन्धी ४९ भङ्ग कहते हैं
मैं कर्म को न करूँगा न कराऊँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा मन से, वचन से, काय से १, मैं कर्म को न करूँगा न कराऊँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा मन से, वचन से २, मैं कर्म को न करूँगा न कराऊँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा मन से, काय से ३, मैं कर्म को न करूँगा न कराऊँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा वचन से, काय से ४, मैं कर्म को न करूँगा न करवाऊँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा मन से ५, मैं कर्म को न करँगा न करवाऊँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा वचन से ६, मैं कर्म को न करँगा न करवाऊँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा काय से ७, मैं कर्म को न करूँगा न कराऊँगा मन से, वचन से ८, मैं कर्म को न करूँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा मन से, वचन से काय से ९, मैं कर्म को न कराऊँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा मन से, वचन से काय से १०, मैं कर्म को न करूँगा न कराऊँगा मन से, वचन से ११, मैं कर्म को न करूँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूंगा मन से, वचन से १२, मैं कर्म को न कराऊँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा मन से, वचन से १३, मैं कर्म को न करूँगा न कराऊँगा मन से, काय से १४, मैं कर्म को न करूँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा मन से, काय से १५, मैं कर्म को न कराऊँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा मन से, काय से १६, मैं कर्म को न करूँगा न कराऊँगा वचन से, काय से १७, मैं कर्म को न करूँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा वचन से, काय से १८, मैं कर्म को न कराऊँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा वचन से, काय से १९, मैं कर्म को न करूँगा न कराऊँगा मन से २०, मैं कर्म को न करूँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा मन से २१, मैं कर्म को न कराऊँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा मन से २२, मैं कर्म को न करूँगा न कराऊँगा वचन से २३, मैं कर्म को न करूँगा न करते हुए अन्य को अनुमति दूँगा वचन से २४, मैं कर्म
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