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कथाक्रम
कथा-नाम
पृष्ठांक।
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५२. आचार ही कुल का द्योतक है. ५३. पद, देश और काल के अनुसार ही उपचार. ५४. नुस्खा लिखना ही क्या उपचार है? ५५. अयोग्य का राजा बनने पर प्रजा का दमन. ५६. छली के साथ छल करना आवश्यक है. ५७. भवितव्यता के आगे किसी का जोर नहीं है. ५८. अतिथि-सत्कार का फल. ५९. मुनि का आत्मालोचन के साथ सत्य भाषण. ६०. झूठा कलंक देना भावि-जीवन के लिए खतरनाक है. ६१. ध्यान की महिमा. ६२. गृहस्थ-जीवन में निर्मोहिता. ६३. व्यंग से मंदिर का निर्माण. ६४. फलवर्द्धि पार्श्वनाथ तीर्थ. ६५. अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ तीर्थ. ६६. टीडा की लोक प्रसिद्ध कथा. ६७. बिना याचना के ही मेघ वर्षा करता है.
धूर्तों का चक्कर. ६९. मन की आँखें मींच.
संगति का असर. ७१. जैसी भावना, वैसी ही प्रजा की प्रतिक्रिया. ७२. दान का समय नहीं होता.
गणिका का बुद्धि चातुर्य.
अर्थलोभी वैद्य. ७५. ताजिक ग्रन्थ की रचना का कारण. ७६. मैत्री में विश्वासघात. ७७. सत्पात्र दान आवश्यक है. ७८. सुदर्शन का दान और शील.
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