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चेतन्यकर्मचरित्र सुनटसंगसूरले ॥ चढ्योमुमुबमरोल ॥२॥ कुमनजासुसबूलाटाके। कहेमोहनृपबात ॥ तुमसुधल्यावोवेगदे ॥ कहांसुनटवेसात ॥ ३ ॥ कुमनखवरपल मेदश् ॥ वेमुर्बितननपास || कबु विद्याकिजेश्हां॥ जोवे लहेप्रकास ॥ ४॥ मोहकरे विद्याविविध ॥ रागपिलसंग ॥ जनमेक जीयतिनयें ॥ कबुरहेमुरबितअंग ॥ ५॥ सुमनजासूससबग्यानपें ॥क हीमोहकीबात ॥ कहारहेतुमबेविके ॥ सुनटजीवावतसात ॥६॥ जोवे सातजियेकहुं ॥ तोतुमसुनिहोवात ॥ चेतनकेयेसुनटकों ॥ करिहेंपल मेघात ॥ ७ ॥ अरुमोहफोजेजोरिके ॥ आटोकरीधनीमान ॥ तुम होआपनेनाथकों ॥ खबरपदावोग्यान || 5 ॥ तवग्याननिजनाथपें ।।
ज्योसम्यकवेग ॥ कहोवधाईजीतकी ॥ औरुयहबहुरिनदेग ॥ ५ ॥ बहुरि मिले वैऽष्टसब ॥ आएपूरकेमाहिं ॥ लरवेंकीमनसाकरे ॥ भागन कीबुधिनाहिं ॥ १० ॥ इहविधिसम्यकनावते॥ सबकहीजीवजाय ॥ सुनिकेप्रबलपचंमअति ॥ चढ्योज्युंचेतनराय॥११॥ महासुनटबल वंतअति ॥ चढ्योकटकदल जोर ॥ गुनअनंत सबसंगहुए ॥ कर्मद हनकीओर ॥१॥ आटामिलेसबग्यानकों ॥ किनोएक विचार ॥ अ बकेयूधएसोकरुं ॥ बहुरिनवंचेगमार ॥ १३ ॥ चढेसुनटसबजुधकों ॥ सुरवीरबलवंत ॥ आएअंतरभुमीमाहि ॥ चेतनदल सुंअनंत ॥१४॥ .
॥सोरग ॥ रोपिमहारणथं न ॥ चेतनधर्मसुध्यानकों ॥ देखतल गहिंगचंग ॥ मदनमोहकाफौजकों॥ १ ॥
॥दोहा॥ दोकदल सनमुखनए ॥ मच्योमहासंग्राम ॥ इतचेतनजोधाबहु ॥ तनतेंमोहनृपनाम ॥ १ ॥
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