________________
२०६
चेतन्य कर्मचरित्र
चार || अब तुममे कुमत नई | लखेकुंतैयार ॥ २ ॥ चौरासीलप स्वांगमें ॥ क्यौनाचतहौनाच ॥ वादिनपुरषत्त कितगयो || मोहेकहो तुमसाच ॥ ३ ॥ एकें जियादिकच्यादिदे ॥ कौनकहावतपांच ॥ काके नावविकातिहो || मोहेकहोतुमसाच ॥ ४ ॥ इतनेदिनलौपाल के ॥ मैतुम किनोपुष्ट | तातेंल रेखेकों नये || गुल्लोपीमहादुष्ट || ५ || जा
पास || चैतनकेगुएजेह || मोकोमुषनदिषावहो | बिनमे करुहोखेह ॥ ६ ॥ मोहवचन एसेंश्रवें ॥ सुनिकै चल्यो विवेक ॥ या योराजाज्ञानपें ॥ कही बात सबएक ॥ ७ ॥ वहक्योंही नाजेनही ॥ ग हिवेोयहटेक || लरियैफोजेजोरकै ॥ बोले त विवेक ॥ छ ॥ इतव चनसुनकेहस्यो || ग्यानवल]] रमाहिं ॥ देखो थितिपुरीनई ॥ क्योंहीमा नेनाहि || ५ || लेहोसुनटतुमवेगदे || व्रतपुरा निरांम ॥ रहोपूरव्ह बेरिकें ॥ मेटोवांकौनाम ॥ १० ॥ चढीसैनसबग्यानकी ॥ सुरवीरबल वंत || यागेंसेनानी नयो || महाविवेकमहंत ॥ १२ ॥ ॥ कमखाबंद ॥
' छाट्यसनमुख नयेमोहकी फोजसों ॥ निमनकेमतेसब सूरगाढे ॥ देखि तमोहयतिको हमनमेंकीयो || असुनदल कारिरहे च्यापुवाढे ॥ २ ॥ सूर बलवंतमहामोहकेंनिकसिसब || सैनकोंसाजच्या ज्युच्याए || मारियम सांनमाहाजुधबहूरूधकरि || एकसएकसातोंसवाए ॥ सू० ॥ २ ॥ वीरवि वेकनेधनुषले ध्यानको || मारिके सुभटसातों गिराए ॥ कुमुखजोग्यान कीसेनसबसंगधसि ॥ मोहके सुनटमुर्खासमाए ॥ सू० ॥ ३ ॥ देखियह जुछतबमोहनाग्योतहां ॥ यत्रतपूरसबसूरजारे ॥ बांधिकरिमोरचेब हूरीसनमुखनयो || जरनकी होंसनकरेनिहारे ॥ सू० ॥ ४ ॥ ॥ चोपई ॥ एहिविधिमोहजोरसबसैन || देसनतपुरपठोऐन || करे माहानानाप्र
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org