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पाचभावनानोस्तवन ॥ अथश्रीदेवचंजीकृतसाधुनीपांच नावनालिख्यते॥
॥दोहा ।। खस्तिश्री मंधरपरम ॥ धरमधामसुखाम ॥ स्याहादपारिणामधर ॥ प्रणमूचेतनराम ॥ १ ॥ महावीरजिनवरनमी ॥ नषबाहुसूरीश ॥ वंदीश्रीजिननजगणि ॥ श्रीदे मुनीश ॥ २ ॥ सदगुरुशासनदेवनमी। वृहत्कल्पअनुसार ॥ सुचनावनासाधनी ॥ नाविशपंचपकार ॥ ३ ॥ इंजीयोगकषायने ॥ जोपेमुनीनिसंग ॥ इणजीतेकुध्यानजय ॥ जाए चित्ततरंग ॥ ४ ॥ प्रथमभावनाश्रुततणी ॥ बीजीतपतियसत्व ॥ तुरि यएकतानावना पंचमनावसुतत्व ॥ ५ ॥ श्रुतनावनमनथिरकरे ॥ टा लेनवनोखेद || तपनावनकायादमे ॥ वमेवेदकमेद ॥ ६॥ सत्वनाव निर्नादशा ॥ निजलघुताएकनाव ॥ तत्वनावनाथात्मगुण ॥ सिघ साधनादार ॥ ७ ॥ ॥ ढाल र ली। लोकसरूपविचारोअतमहितनगीरे ।।
॥एदेश।।। श्रुतअन्यासकरोमुनिवरसदारे ॥ अतिचारसहुटालि ॥ हिनअघि कादरमतनचरोरे ॥ शब्दअर्थसं नालि ॥ श्रु० ॥ ॥ सुदमअर्थ अगोचरष्टियारे । रूपीरूपविहीन ॥ जेहतातअनागतवरततारे॥ जाणेझानोलीन ॥ श्रु० ॥ २ ॥ नित्यनित्य एकअनेकतारे ॥ स दसदभावस्वरूप ॥ बएनावएकव्येपरणम्यारे ॥ एकसमेमेअनूप॥श्रु०॥ ॥३॥ नत्सर्गेअपवादपदेकरीरे ॥ जाणेस हुश्रुतचालि ॥ वचनविरोध निवारेयुक्तिथीरे ॥ थावेदूषणटालि ॥ श्रु० ॥ ४ ॥ ६व्यार्थिकपर्या यार्थिकधरेरे ॥ नयगमनंगअनेक ॥ नयसामान्य विशेषेतेनहेरे ॥ लो कअलोकविवेक ॥ श्रु० ॥ ५॥ नंदीसुत्रेनपगारीकझोरे ॥ वलीअसु
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