SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 680
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५५९ अनुपूर्ति-लेखा : वामादे सुत श्रे० भीलाकेन भा. हांसलदेव्यादिकुटुंबयुतेन श्रीसुविधिबिंबं का प्र० तपागच्छ नायक प्रभु श्रीरत्नशेखरसूरिपादैः ॥ ( ६४० ) पंचतीर्थी सं० १५०७ चै० व० ५ ारणावास्तव्य प्रा० व्य० वीका भा• हांसू पुत्र खेताकेन भा० लाडी पु० पर्वतादिकटं(कुटुं)वयुतेन स्वपितृश्रेयसे श्रीसुव्रतबिंबं का० प्र० श्रीसोमसुंदरसरिशिष्य तपा श्रीश्रीश्रीरत्नशेखरसूरिभिः (६४१ ) पंचतीर्थी सं० १५०८ वर्षे मा० वदि २ प्राग्वाट वीसलनगरवासि श्रे० वीसल भा० वजू सुत श्रे० आका महिपा जेसिंगैः क्रमाद्भार्या मरगद(दे) कमी बाजू पुत्र भजादियुतैः स्वश्रेयसे श्रीवासुपुज्यबिंब का० प्र० तपा श्रीरत्नशेखरसूरिभिः ॥ (६४२ ) पंचतीर्थी स० १५०८ वै० शु० ५ सोमे प्राग्वाट व्य० वस्ता भा. सरसइ पुत्र व्य० हापाकेन भा० सोनाई प्रमुखकुटुंबयुतेन श्रीअभिनंदनः का पितृश्रेयसे प्र० तपा श्रीसोमसुंदरसूरिशिष्य श्रीरत्नशेखरसरिभिः ॥ (६४३ ) पंचतीर्थी संवत् १५१९ वर्षे ज्येष्ट(ष्ठ) सुदि ९ शुक्रे माग्वाट ज्ञा० व्य. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy