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________________ अनुपूर्ति-लेखा : ( ५६२ ) एकतीर्थी सं. १३९३ कासहूदगच्छे श्रे० नरसीह भा० वरजी पु० धरणिगेन पित्रोः श्रेयसे श्री शांतिनाथ वि० का० प्र० श्री सिंहमूरिभिः (५६३ ) एकतीर्थी सं० १३९४ वैशाष(ख) वदि ५ श्रीहारोजगच्छे ओसि सवाल ज्ञातीय श्रे० सहना भार्या वांकलदेवि(वी) सुत अभयसीह नानाभ्यां मातृपित्रो[:] श्रेयोर्थ श्रीउ (ऋ) [प] भदेवबिंब कारापितं प्रति ०. श्री.... (सिं)हदत्तसरिभि [:] (५६४ ) एकतीर्थी संवत् १३९९ वर्षे चैत्रशुदि १० शुक्रदिने श्रीनाणकीयगच्छे ऊ० कुयर भार्या ऊ० कुरदेवि(वी) पुत्र.......पितु मातु श्रेयसे श्रीपार्श्वनाथबि[ ०] प्र. श्रीसिद्धसेणसूरिभिः ।। (५६५ ) एकतीर्थी सं० १३................सीह भार्या कपुरदेवि(वी) पुत्र पांचाकेन पितृमातृश्रेयसे श्रीशांतिनाथवि कारित प्र० पू० श्रीगुणचंद्रमरीणामुपदेशेन (५६६ ) एकतीर्थी ... सं० १३........माघशुदि ५ गुरौ महणसिहेन श्रीपार्श्वनाथविकः । ................कारितं प्रतिष्टितं श्रीसोमप्रभमूरिभिः ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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