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________________ अनुपूर्ति-लेखा : ( ५४४ ) एकतीर्थी ॐ सं० १३७४ वैशाष(ख) सुदि ४ बुधवारे सांपुला सा सलपणसीह भार्या सहजश्री पुत्र पातलदेपालास्यां पिता(तृ)श्रेयोर्थ श्रीशांतिनाथविवं कातिं श्रीधर्मघो[प]सरिपट्टे श्रीअमरप्रभ[स] रिशिष्यैः प्र. श्रीज्ञानचंद्रसूरिभिः (५४५ ) चतुर्विशतिपट्ट सं० १३७४ वर्षे ज्येष्ट(ठ) शुदि १० बुधे प्राग्वाटज्ञातीय ठ० भमरपाल सुत ठ० अभयसिंह श्रेयोर्थ सुत आमाकेन चतुर्विशतिजिनप्रतिमा कारिता प्र० श्रीसूरिभिः ॥ श्रीः ॥ (५४६ ) एकतीर्थी सं०] १३७५ माववदि ११ प्रा० वीरपाल भार्या मूंघी पुत्र सोनाकेन मातृपितृश्रेयसे श्रीआदिनाथविवं का० प्र० श्रीभावदेवमूरिभिः (५४७ ) एकतीर्थी सं० १३७६ वर्षे म(मा)ववदि १२ बुधे प्राग्वाटज्ञातीय व्य० जसचंद्र भा० नायक पु० काला भा० कपूरदेवि(वी) धणा भा० बलालदेवि(वी) पित्रोः श्रेयसे श्रीमहावीरबिंब कारितं श्रीजिनसिंघ(द) सरीणामुपदेशेन प्रतिष्टि(ष्ठि)तं सूरिभिः ॥ (५४८ ) एकतीर्थी सं० १३७९ वर्षे वैशाष(ख)वदि १० सोमे प्राग्वाटज्ञातीय था Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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