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अ. प्रा. जैनलेखसन्दोहे
( ७ ) । श्री
कोठारी जवाहरचन्दः सवे ।
॥ सा वीरचंद भुताजी उतर सीरोहीवाला ( ४०५ )
संवत् १३८९ वर्षे फाल्गुनसुदि ८ सोमे श्री कोरें (रं)टकीयगच्छे श्री नन्नाचार्य संताने मुंडस्थलसत्कश्री महावीरचैत्ये महं० कुंअरा पुत्र पूंनसीह भार्या पूनसिरि सुत महं धांधलेन भ्रातृ मूलू गेहा रूदा श्रेयोऽयै जिनयुगलं कारितं प्रतिष्टि (ठ) तं श्रीनन्न सूरि श्री कक्कसूरिभिः ॥
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( ४०६ )
प्राग्वाटज्ञातीय व्यव० चांडसी श्रीनमे (नेमिनाथपादाना (नां) क (का) रापितां सपरिकर क ( का) रापित सभ ( शुभं भवतु
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