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________________ अ. प्रा. जैनलेखसन्दोहे ( ३४७ ) ६०॥ संवत्] [१२]९३ मार्गसुदि १० श्रीनागपुरी[य] वरहुडिसंतानीय सा० नेमड पुत्र सा० जयदेव पुत्र सा० वीरदेव देवकुमार हाल स्वमातृ जाल्हणदेवि (वी) आत्मश्रे [योऽर्थ ] श्रोमहावीरबिंबं कारापितं || सु (शु) भं भवतुः (तु) | ( ३४८ ) १४० || || भगवंत महावीर परिपास्थि (पर्युपास्ति ) संवत् १३८४ वर्षे चैत्रसुदि ३ भोमे ऊंबरुद्राग्रामे व्यव० अजे (जय ) सीह भार्या आल्हणदे सुत अभयचंद्र भार्या नामल सुत | मलयसींह । भार्या । माणिक व्यं (बि) वं । स्वीय २ स्थापितं ॥ ( ३४९ ) ||०|| श्री आदिनाथ पर्जिपास्थि (पर्युपास्ति) । संवत (त्) १३८४ वर्षे चैत्रदि ३ भोमे ऊंबर उद्राग्रामे व्यव० अजे (जय ) सींह सुत अभ - यचंद्र भार्या नामल सुत महं मलय सीह भार्या मां (मा)णिक... (श्रेयोऽर्थ ) व्यं (बि) व स्थापित (तं) ( ३५० ) ६० ॥ संवतु (त्) १२९१ वर्षे मार्गसी (शी) र्षमासे श्री अर्बुदाचले महं[॰]श्रीतेज[ः]पालकारित ठ० लूण सीहवसहिकाभिधान श्रीनेमिनाथचैत्ये Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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