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________________ ( चतुर्थ ( पंचम ( षष्ठ ( सप्तम ( अष्टम ( नवम ( दशम ( अष्टम हस्ति ) ( नवम हस्ति ) ( ३२० ) (२) आचार्य विजयसेन ( प्रथम खत्तके ) ( १ ) आचार्य उदयप्रभ (३) महं० श्रीचंडप (४) महं० श्रीचांपलदेवि (वी) ( द्वितीय ) (१) महं० श्रीचंडप्रा (प्र) साद (२) महं 59 श्रीचां पलदेवि (वी) श्रीसीतादेवि (वी) ( तृतीय, ) ( १ ) महं श्रीसोम (२) महं महं श्रीआसण लूणवसतिलेखाः । ( दशम हस्ति ) [ महं० श्रीतेजःपाल । ] [ महं० श्री जैत्रसिंह । ] श्रीलावण्यसिंह | 1 [ महं० ܝܪ "" "" ) (१) महं श्री आसराज ( २ ) महं श्रीकुमारादेवि (वी) ) (१) महं श्रीलूण (णि)गः । (२) महं श्रीलूणादेवि (वी) ) (१) महं श्रीमालदेव (२) महं श्री लीलादेवि (वी) (३) महं श्रीप्रतापदेवि (वी) "" Jain Education International १३१ "" ) (१) महं श्रीवस्तुपालः || सूत्र वरसाकारि [ i ] ( २) महं० श्रीलल (लितादेवि (वी) (३) महं श्रीवेजलदेवि (वी) „ ) (१) महं श्री तेज[ : ]पाल: || श्रीसूत्र बरसा कारितं ॥ (२) महं श्री अनुपमदेव्याः ) (१) महं श्रीजितसी ( २ ) महं श्रीजेतलदे ( ३ ) महं श्रीजंमणदे (४) महं श्रीरूपादे ) (१) महं श्रीसुहडसीह (२) महं श्रीसुहडादे "" (३) महं श्रीसलपणादे For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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