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________________ १२० अ. प्रा. जैनलेखसन्दोहे शुक्रे श्रीमदर्बुदाचले नाभेयनेमी नमस्कतु कृधिग(?)महणान्वये आंबड सुत संघपति अभय सोहा....माधव भोजदेव दोसिया दोसिया षीमसीह हेमचंद्र । देवधर । भीमसीह लूणिया प्राग्वाट हरिसीह ब्रह्मदेव चतुर्विधश्रीश्रमणसंघेन सह समाय(या)तः । श्री (२८७) ई० ॥ स्वस्तिश्री नृपविक्रमसंवत् १२९३ वष वैशाखसुदि १५ शनौ अद्येह श्रीअर्बुदाचलमहातीर्थे अणहिल्लपुरवास्तव्य श्रीप्राग्वाटज्ञातीय ठ० श्रीचंडप ठ० श्रीचंडप्रसाद महं श्रीसोमान्वये ठ० श्रीआसराज सुत महं० श्रीमल्लदेव महं० श्रीवस्तुपालयोरनुन महं० श्रीतेन[:]पालेन कारित श्रीलूणसीहवसहिकायां श्रीनेमिनाथ(*)देवचैत्ये जगत्यां श्रीचंद्रावतीवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० वीरचंद भार्या श्रियादेवि(वी) पुत्र श्रे० साढदेव श्रे० छाहड श्रे० साढदेव भार्या माऊ पुत्र आसल श्रे० जेलण जयतल जसधर श्रे० छाहड भार्या थिरदेवि(वी) पुत्र घांघस श्रे० गोलण जगसीह पाल्हण तथा श्रे० जेलण पुत्र श्रे० समुद्धर श्रे० जयतल पुत्र देवधर मयधर श्रीधर आंबड (*) जसधर पुत्र आसपाल । तथा श्रे० गोलण पुत्र वीरदेव विजयसीह कुमरसीह पद्मसीह रत्नसीह जगसीह पुत्र सोमा तथा आसपाल पुत्र सिारपाल विजयसीह पुत्र अरसीह श्रीधर पुत्र अभयसीह तथा श्रे० गोलण समुद्धर प्रमुखकुटुंबसमुदायेन श्रीशान्तिनाथदेवविवं कारितं प्रतिष्ठितं नवांगवृत्तिकार श्रीअभयदेवसूरिसंतानीयैः श्रीधर्मघोषसूरिभिः ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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