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________________ ६२ अ. प्रा. जैनलेखसन्दोहे पुत्र छीतर लषा लोला माता रंमा भा० वलां लिषि(खि)तं उ० माणिकराज । (२२५) पं० विद्यारत्नगणिभि[:] सह यात्रा कृता ॥ संवत(त् ) १६२ १ वर्षे पोस(पौष)शुदि १३ शुक्रे श्रीतपागच्छ च्छे) श्रीवीन(विजय)दानसूरि भटा(ट्टा)रक श्रीहीरवजि(विजय)मरि श्रीआंबईनगरे श्रीमालीलाडूआनीआ(ज्ञा)ती[य] श्रे। दपो(देपा)ल भाडा(यां) बाई तेजू स(सु)त श्रे। सीहा...........(भार्या ?) रांमति स(सु)त संघवी हांमा भू(सु)त हेमा श्रीपति स(सु)त नाकर धमांत(वर्धमान) सामल काहानजी वीरजी हीरजी सूरजी देमत मनरंगो अदी(आदि)नाथ संघ गया २ आमलेसर भरूअच जंबूसर करवाग तथा गोत्र सांबा सरवगामसहतं पू (पु)त्री संवाई चंडअली मंगास जात्र सफल अ....॥ (२२६ ) श्रे० मांडण बछराजनी यात्र(त्रा) सफल संवत(त् ) १६२१ वर्षे ( २२७) संवत(त् ) १६१६ वर्षे माह(घ)सुदि ११ दिने उ(ओ)सवाल नगगोत्रे सा० दुलह सुत सा० तोला वीरम पु० रूपा वस्ता पाना भा० नेतू बाई राज(जा) यात्रा सफल । उ० माणिकसज ककरसा लिपि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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