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________________ अ. प्रा. जैनलेखसन्दोहे श्रीसंघलोकसाधुसाध्वीनां यात्रा कारिता । निजवित्तव्ययेन स्वपूर्वज पितृमातृ कुटं(टुं)ब श्रेयसे । संघपति पदष श्रीथापना दत्ता । सं १६०३ वर्षे] पोष शुदि १ गुरौ ॥ कुरजी । पंडित श्री० संघचारित्रगणिशिष्य महोपाध्याय श्रीश्रीश्रीश्रीश्री विमलचारित्रगणीनामुपदेशेन ।] ताती अमलजी धननी मेवजी (२१६ ) संघवी कान्हा संवत् १६१६ वरष(वर्षे) माह(घ) स(सु)दि ११ वार द(दि)ने संघवी हरच हरचंद नरबद पचा सदारंग पुत्र मननी कचरा तेजा वास मीमच अचला (२१७ ) सोहा रूपा पत(ता) हीरा संवत(त) १६१६ वरष(वर्षे) माहास(सु०) ११ द(दि)ने वार भोमे पता हीरा भारया(या) बाई सवीरा प(पु)त्र कसतुरा करमा वास मीमच (२१८) - संवत(त्) १६१६ वर्षे माह सुदि ११ कासिवगोत्रे सं० बुचा भार्या पेही यात्रा' सफल] लिषि उ श्रीमाणिकराज वा० लाला ( २१९ ) साहा टापर प्र(पु)त्र पना प(पु)त्र षी(खी)मराजे जात्रा सफल Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003986
Book TitleArbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain
Publication Year1994
Total Pages762
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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