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प्रतिष्ठा-लेख-संग्रहः द्वितीयो विभागः
१३९ (७१६) शिलापट्ट-प्रशस्ति । श्रीखरतरगणाधीश्वर श्रीमत्सुखसागरजी महाराज साहब के समुदाय के वर्तमान जं० यु० प्र० भ० श्रीमज्जिनहरिसागरसूरीश्वरजी महाराज श्री की शिष्यारत्न आबालब्रह्मचारिणी प्रवर्तिनी श्रीपुण्यश्रीजी महाराज की शिष्या दीर्घतपस्विनी श्रीमती कनकश्रीजी महाराज का स्वर्गवास वि० सं० १९९४ भाद्रव वदि ५ गुरुवासरे नागोर में हुआ। उन्हीं की शिष्या श्रीरविश्रीजी तथा शान्तिश्रीजी के सदुपदेश से सेठ तेजकरण चांदमलजी फर्म आगरा के वर्तमानवासी के बाबू पूर्णचन्द्रजी और कपूरचंदजी की मासा श्रीमती मगाबाई बसंतीबाई ने अपने खर्च से संस्कारभूमि में कनक मन्दिर का निर्माण करवाया वि० सं० १९९४ के मिगसर वदि ५ सोमवार के दिन को समारोह से प्रतिष्ठा कराई। काम करने वाले निवेदक-इन्द्रचन्द्र खजान्ची
(७१७) कनकधी-पादुका वि० सं० १९९४ भाद्र कृ० ५ गुरौ प्रातः खरतरगणाधीश्वर श्रीसुखसागरसुगुरुसमुदायाधिपति वर्तमान श्रीजिनहरिसागराज्ञानुयायिनी प्रवर्तिनी श्रीपुण्यश्रीणां शिष्या आबालब्रह्मचारिणी दीर्घतपस्विनी श्रीकनकश्री सा दिवंगताः। संस्कारभूमावत्र शान्तिश्री रविश्री सदुपदेशात् तच्चरणकमले प्रतिष्ठिते मार्ग० कृ० ५ चन्द्रे नागपुरे मरुधरे ॐ शान्तिः।
.. (७१८) रत्नप्रभसूरि-पादुका ताम्रमयी
वि० सं० १९९४ मार्गशीर्ष शुक्ल ४ ओशवंश-स्थापक जैनाचार्य श्रीरत्नप्रभसूरीश्वरजी के पादुका प्रतिष्ठाकर्ता मुनिश्री ज्ञानसुंदरजी महाराज।
(७१९) हीरविजयसूरि-पादुका वि० सं० १९९५ शाके १८६० वर्षे फाल्गुनमासे शुक्लपक्षे बुधवासरे सम्राट अकब्बर पातिसाह प्रतिबोधक जंगम युगप्रधान जगद्गुरु दादा साहिब सकलभट्टारकपुरंदर तपोगच्छाधिपति जैनाचार्य श्रीश्रीश्री १००८ श्रीहीरविजयसूरीश्वराणां चरणपादुका कारापिता तपागच्छीय श्रीसंघेन प्रतिष्ठापिता च
७१६. नागोर दादाबाड़ी कनक मन्दिर ७१७. नागोर दादाबाड़ी कनक मन्दिर ७१८. अजमेर वेदमुहता देवकरण गृह देरासर ७१९. जयपुर सुमतिनाथ मन्दिर
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