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प्रतिष्ठा - लेख - संग्रह: द्वितीयो विभागः
( ६८८ ) अजितनाथ:
। सं । १९७२ मि । माघ सु० ९ शनि अजितनाथबिंबं का । भडगरागोत्रे सोभागचन्द्र तद्भार्या गुलाबदे प्र । भ । बृ । खर। ग । श्रीजिनरत्नसूरिभिः । ( ६८९ ) संभवनाथ:
। सं० १९७२ मि । माघ शु । ९ शनि संभवनाथबिंबं का ।..........प्र । भ। खर। ग। श्रीजिनरत्नसूरिभिः॥
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( ६९० )
॥ श्रीः ॥ सं०
१९७३ मिति सावण सुदि ५ वार सुकरवार १ श्रीजी ने विराजमान किया मानबाई २ श्रीजी ने विराजमान किया हुलासबाई । ( ६९१ ) जिनकुशलसूरि-मूर्ति:
॥ ६० ॥ श्रीचतुरशीतिगच्छ - शृंगारहार जंगम युगप्रधान भट्टारक दादाजी श्री श्री श्री १००८ श्रीजिनकुशलसूरीश्वराणामियं मूर्तिः श्रीगुरुणीजी श्रीपुण्यश्रीजी के उपदेश से उदयपुर की सुश्राविका कुंवरबाई ने प्रतिष्ठा करवाई। पं० प्र० श्रीकेसरमुनि जी गणि के पास । संवत् १९७३ मिति फागुण शुक्ल तृतीयायां शनिवासरे शुभं भवतु ॥
(६९२) जिनकुशलसूरि-मूर्ति:
॥ स्वस्ति श्री श्री श्री श्री श्री श्री १००८ श्री जं० यु० प्र० श्रीबृहत्खरतरगच्छ भट्टारक चौरासीगच्छ शृंगार दादाजी श्रीजिनकुशलसूरिजी महाराज का बिंब स्थापना किया श्रीप्रवर्तिनी पुण्यश्रीजी के उपदेश से सुश्रावक तेजकरणजी ने ॥ संवत् १९७५ श्रीवैशाख शुक्ला ६ गुरुवासरे ॥ (६९३) जिनकुशलसूरिमूर्तिः
॥ वि० सं० १९७५ श्री वै० सु० ६ गु ॥ स्वस्ति श्री १००८ श्री श्री श्री श्री दादाजी श्रीजिनकुशलसूरिजी का बिंब प्रतिष्ठा ।
६८८. जयपुर श्रीमालों का मन्दिर ६८९. जयपुर श्रीमालों का मन्दिर ६९०. जयपुर सुमतिनाथ मन्दिर ६९१. जयपुर विजयगच्छीय मन्दिर ६९२. जयपुर नया मन्दिर
६९३. जयपुर इमली वाली धर्मशाला
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