________________
मैंने फेंक दिये लोग फेंक दिये तिनके चोट डाले बच्चे मिटटी के लौटे. कच्चे ढहा दी दीवारें धराशायी कर दी मीनारें तोड़ डाले भागी भरकम दमनन्त लोग जानें कि मुझमें कितनी ताकत
कितना सख्त
पर कौन है ये बालक जिसने मुझे टाका आगे बढ़ने से रोका
अभी इसे मज़ा चलवाता हूँ पाँवों तले हमेशा के लिये सुलाता हूँ पर यह क्या यह तो उछल कर मेरे ऊपर चढ़ गया देनवो । देलवो-टेलवो !! इसका ठोसला कितना बढ़ गया !!!
500
प्रकाश-पर्व : महावीर /46
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org