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श्रीनेमिनाथफागु
श्री नेमिनाथफागु
सिद्धि जेहिं सइ वर वरिय ते तित्थयर नमेवी । फागुबंधि पहुनेमिजिणुगुण गाएसउं केवी ॥ १ ॥ अह नवजुव्वण नेमिकुमरु जादवकुलधवलो काजलसामल ललवलउ सुललियमुहकमलो । समुदविजयसिवदेविप्रतु सोहगसिंगारो जरासिंधुभडभंगभीमु बलि रूवि अप्पारो ॥ २॥ गहिरसहि हरिसंखु जेण पूरिय उद्दंडो हरि हरि जिम हिंडोलियड भुयदंडपयंडो । तेयपरिक्कमि आगलउ पुणि नारिविरत्तर सामि सुलकणसामलउ सिवसिरिअणुरत्तउ ॥ ३ ॥ हरिहलहरसउं नेमिपहु खेलइ मास वसंतो ।
हावि भावि भिजइ नही य भामिणिमाहि भमंतो ॥ ४ ॥ अह खेलइ खडोखलिय नीरि पुणु मयणि नमावइ हरि अंतेउरमाहि रमइ पुणि नाहु न राचइ | नयणसलूणउ लडसडंतु जउ तीरिहिं आविउ माइ बाप बंधविहिं मांड वीवाह मनाविउ ॥ ५ ॥ घरि घरि उत्सव बारवए राउल गहगहए तोरण वंदुरवाल कलस धयवड लहलहए । कन्हडि मागिय उग्गसेणधूय राजल लाधा नेमिमाहीय बाल अट्ठभवनेहनिबडा ॥ ६ ॥ राइमएसम तिहु भुवणि अवर न अत्थइ नारे । मोहविल नवलडीय उप्पनीय संसारे ॥ ७ ॥ अह सामलकोमल केशपास किरि मोरकलाउ । अडचंदसमु भालु मयणु पोसइ भडवाउ । वंकुडियालीय मुंहडियहं भरि भुवणु भमाडइ लाडी लोयणलहकुडलइ सुर सग्गह पाडइ ॥ ८॥ fare सिसिबिंब कपोल कन्नहिंडोल फुरंता नासा वंसा गरुडचंचु दाडिमफल देता ।
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