SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 68
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कछलीरासः कछूलीरासः गणवह जो जिम दुरीउविडणु रोलनिवारणु तिहूयणमंडणू पणमवि सामीउ पासजिणु । सिरिभद्देसरसूरिहिं वंसो बीजी साहह वंनिसु रासो धमीय रोलु निवारीउ । सग्गबंडु जिम महीयलि जाणउं अठारसउ देसु वषाणउं गोउलि धन्नि ५९ रमाउलउ ॥ अनलकुंडसंभम परमार राजु करई तहिछे सविवार आबूगिरिवरु तहिं पवरो । विमलडवसहीं आदिजिणंदो अचलेसरु सिरिमासिरि वंदो तसु तलि नयरी य वन्नीयए । जणमणनयणह कम्मणमूली कछूली किरि लंकविसाली सरप्रववावि मोहरी य ॥ वस्त - तम्हि नयरी य तम्हि नयरी य वसई बहू लोय । चिंतामणि जिम दुच्छीयहं दीई दानु सविवेय हरिसि य । सच्चईं सीलि ववहरई कूडकपटु नवि ते य जाणई । गलीउं जल वाडी पीड़ धम्मकम्मि अणुरन्त । एकजीह किम वन्नी कछूली सु पवित्त | हिमगिरिधवलउ जिसु कविलासो गुरुमंडपु पुतलीयविणासो पासभूयणु Jain Education International रलीयामण | भवीयहं गुरु मणि आणंदु आणइ जसहडनंदणु तं परिमाणइ सतरि भेदि संजमु परिपालइ | विहिमगि सिरिपरि गुण गाजइ एगंतर उपवास करेइ बीजा दिन आंबिल पारेइ । सासणदेवति देसण आवइ स्यणिहिं ब्रह्मसंति गुरु वंदीइ कविलकोटि श्रीयसुरि विहरंतई । मालारोपण कीयां तुरंतई सइ नर आवीय पंचसयाई समिकति नंदई बहू य वयाइ । छाडनंदणु बहु गुणवंतउ दीख लीइ संसारविरक्तउ । लाषणछंदपरमाणपरिकणु आगमधम्मवियारवियरकणु । छत्रीसी गुरुगुणि जुत्तउ जाणीउ नियपदि ठविउ निरूत । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003980
Book TitlePrachin Gurjar Kavyasangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC D Dalal
PublisherCentral Library
Publication Year1920
Total Pages172
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy