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पृथ्वीचन्द्रचरित्र
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सोमश श्रीधर देवधर गंगाधर गदाधर लक्ष्मीधर श्रीवच्छ पद्मनाभ पुरुषोत्तमप्रमुख ब्राह्मण मिलिया, शांति करिवानई कारणि कलिकलिया; गले त्रागा, वेदध्वनि उच्चरिवा लागा । जे ब्राह्मण १८ पुराण १८ स्मृति जाणइ । ते किस्या पुराण | भागवतपुराण १ भविष्योत्तरपुराण २ मत्स्यपुराण ३ मार्कंडेयपुराण ४ विष्णुपुराण ५ वाराहपुराण ६ शिवपुराण ७ वामनपुराण ८ ब्रह्मपुराण ९ ब्रह्मांडपुराण १० ब्रह्मवैवर्तपुराण ११ आग्नेयपुराण १२ पद्मपुराण १३ लिंगपुराण १४ नारदपुराण १५ स्कंदपुराण १६ कूर्मपुराण १७ गरुडपुराण १८ ।
ते किसी स्मृति | मानवीस्मृति ? आत्रेयीस्मृति २ वैष्णवीस्मृति ३ हारीतकीस्मृति ४ याज्ञवल्कीस्मृति ५ शनैश्चरस्मृति ६ अंगिरास्मृति ७ आपस्तंबीस्मृति ८ सांवर्त्तकीस्मृति ९ कात्यायनीस्मृति १० बृहस्पतीस्मृति १९ पारासरीस्मृति १२ शंखीस्मृति १३ लिखितास्मृति १४ दाक्षीस्मृति १५ गौतमीस्मृति १६ शातातपीस्मृति १७ वाशिष्ठीस्मृति १८ ।
तिसिइ रत्नमंजरी कुंअरि राजारहई वीनती करावी, तिहां कुतिग जोइवा आवी । जेहतणइ परिवारि, सषी अनेकप्रकारि; कस्तूरिका कर्पूरिका लीलावती पद्मावती चंद्रावती चंद्रउली चंपू हंसी सारसी बगुलीप्रमुख अनेक सषी वर्त्तई । ती सहित तिहां आवी । पितारहई प्रणाम नीपजावी उत्संगि बइठी, दिव्य रूप देषी रायतइ मनि चिंता पहठी । एहयोग्य कवण वर, किं नर, किं विद्याधर, इसी चींतवत नरेश्वर, सरोवरभणी दृष्टि दीधी । तु निर्मल जलि, बइठा कमलि; हंस करई रमलि, च्यारह दिसि वासीइं परिमलि; कारंड कुरंज कलहंस कलगलई, ताप टलई; मोर वासई, सर्प नासइ; आडि पंषींआ तरहं, ब्राह्मण स्नान करई; माहि शतपत्र सहस्रपत्र कमलवन, दीसतां प्रीति पमाडई मन; देहुरी दंडकलस झलहलई, लहरि ऊछलई । इम जोतां राजहंस एक सरोवरहंत ऊडी बउ राजातई हाथि, निहालिउ नरनाथि । तु रूडउ रूपवंत, रुलीयामणउ, सोहामणउ; श्वेत, लावण्योपेत; जिसिउं लक्ष्मीदेवतातणउ चमर, जीणई मोहीयई अमर, कुंदकुसुमस्तबकसमान प्रधान पक्षिकुलावतंस । इसिउ हंस कुतिगकरी कुमारी लीधर, राजा दीघउ । जेतलइ जोअइ कुमरी, तेतलइ हंसि जिमणी पांष विस्तारी; कुमरि पांषमाहि घाती, भलीपरि साती। ऊपडिउ हंसु, तत्काल पडिउ ध्वंसु । धसमसतउ ऊठिउ राउ, कहइ धाउ धाउ, वलिउ नीसाणि घाउ | राउतपायक बलभलिया, वीर सवि मिलिया । धाई राणा, ब्राह्मण
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