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दानवीरका स्वर्गवास । [ ८७१ था। उन्होंने बंबई, रतलाम, प्रयाग, जबलपुर आदि स्थानोंमें बोर्डिग हाउस विद्य र्थियों के लिए खोले । हीराबाग धर्मशाला गिगांव, बंबई में ।। लक्ष रुपये लगाकर बनवाई । कोई ५-६ लाख रु० विद्याके लिए अर्थदान कर चुके थे। मरते समय २॥ लक्ष रु० जैन बच्चोंकी शिक्षाके लिए दिए । इनका जन्म सूरत में कार्तिक २० १३ सं० १९०८ मे हुआ था । मृत्यु इसी श्रावण ब० ९ को बंबई में हुई । संस्कृत पर इनका प्रे: था, धर्मनिउ जैन थे, स्त्री शिक्षाके पक्षपाती थे। सूरतमे सर्वदेशीय कन्याशाला खोली, जो अब तक जारी है।
इनकी अन्तिम इच्छा थी कि लन्दन में एक मैन बोडिङ्गहाउस स्थापित करे जि-यो धम पूर्व विद्यर्थी रह : के। स्वयं सिफ गुजराती औ: हिी जानते थे। जै। लंगों में विधाका विशेष आदर है और हिन्दी भाषाकी इस समय उनम विशेष उन्नति हो रही है यापाक तो वे स्तम्भ हुई हैं।
__ " पाटलीपुत्र” ( बांकीपुर ) ता. ८-८-१४.
दिगम्बर जैन अग्रेसर दानवीर सेठ मणेकचंद हीराचंद जे. पी. गई ता० १६ जुलाईए एकाएक हृदय बंद पडा थो स्वर्गवासी थया छे. आ गृहस्थ आजना १४ लाव जैनो एक अनुकरणीय पुरुष हता. विद्यादान, अभयदान, औषधदान वगेरेमां मळीने एमणे पोतानी हयातीमां (-१० लाख रुपियानी सखावत वरी हती अने मृत्यु वखते पण २॥ लाखनी सखावत करता गया छे. संख्खाबंध बोर्डिङ्ग हाउसो तेमणे स्थाप्यां छे. रु० १५०००)ना खर्चे
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