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________________ गुजरात देशके सूरत शहरका दिग्दर्शन । [ ५५ नंदीश्वरकी प्राचीन प्रतिमा । “श्री मूलसंघे भारतीय गच्छाधिप पद्मनंदी शिष्य श्री देवेंद्रकीर्ति नाम्ना श्री विद्यानंदी सच्छष्यः २ श्री संवत चतुर्दश ख्यातै नवतिर्नव संजुता वैशाख कृष्ण पक्षे च दुतीयापि शुभे दिने यो मदविख्यातमते हुबडवंशे जनाधिरवंतशे सुवीयमाल देवा विजयदेवी भवेजाया पुत्राः अजनि भार्या खेतोदा दाख्यो धरणि तले भार्या हांसलदेवी तीतः जाताः त्रया सुता ४ प्रथम साईयो जाता लीलादे भा० गुणवति भार्या भीम मुजदोषाना सद् राजौ तत्सुतौ जातौ द्वितीयः सहदेवाख्यो भार्या मेत्त सुत्तो सुबीर गंगादे या रागी संग तृतीयो निसाये तयोः पुत्रौं ६ जुठानी भार्या सवीरा सुत भक्तौ दे नेर्चा रम्यते मध्ये पापकर्म क्षयार्थ श्रीस्त्रीष्ठं बिम्बं हंसलादं अमदादा भार्या हासंवदे तयोः पुत्री अमकसात्र प्रणमति ।" इस मंदिर में सफेद पाषाणकी और धातुकी कई कायोत्सर्ग प्रतिमाय हैं । जो अतिप्राचीन होनेके कारण ऊपर के लेख पढ़े नहीं जाते । और भी इस मंदिर में एक सुवण अक्षरोंका लाल कागज़ोंपर लिखा श्रीतत्त्वार्थ सूत्र है जिसमें सुनहरी स्याहीसे व्याख्यान करते हुए एक भट्टारकका चित्र है और उसके चारों ओर चौवीस तीर्थंकरका चित्र है । पास ही कुछ श्रोतागण भी बैठे हुए हैं । जो कि वि० सं० १५२६ में मूलसंघी भट्टारक श्री विद्यानंदिके उपदेशसे श्री राहुलस्याना .... विकरमीणीसाने लिखवाया था । सिंहपुरा ज्ञातिका वर्णन । सूरतनगर में झांपाबाजार में सेठ प्रभुदास पानाचंदके यहां एक चैत्यालय है वहां एक पद्मावती देवीकी मूर्ति है जिसपर यह लेख है" सं० १७२२ जेठ सुदी २ मूलसंधे भट्टारक श्री मेरुचंद पट्टे साह For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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