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________________ महती जातिसेवा तृतीय भाग । हालमां सारं काम करे छे अने हजु वधुं काम चालु छे, जे बे मासमां पुरुं थवे आ कंपनी वणुंज सारं बीझनेस करी शकशे एम स्पष्ट जणाय छे. आ कंपनी जोया पछी बीजेन दिने एटले ता. १७-१-१२ नी सांजे त्यांची उपडी अमो ता. २०-१ -१२ (माहा,सुद १) नी सवारे पाछा मुंबाई आवी पहोंच्या. ता. ५-२-१२. जाति सेवकमाणेकचंद हीराचंद जे. पी. मुंबाई. यद्यपि आप रंगूनमें फलाहार होटल स्थापित करना चाहते थे परंतु व्यवस्थाके लिये कोई प्रबन्धक न मिलनेसे आपने अपने विचारको बंद रक्खा । सेठजी बम्बई आए तब यह चर्चा चली कि दिगम्बर, श्वेताम्बर और स्थानकवासी तीनों आम्नायोंके बादशाह पंचम जार्ज- जैनी भाई मिलकर अपनी २ महासभाके की सेवामें मुख्य कार्यकर्ताके हस्ताक्षरसे एक सम्मिलित मानपत्र। मानपत्र श्रीमान् महाराज पंचमना और महाराणी मेरीकी सेवामें अर्पण करें। यह मानपत्र बम्बई कलेक्टरके द्वारा ता० ३० जनवरी १९१२ को महाराजकी सेवामें भेज दिया गया । इसमें सेठजीने भा० दि० जैन महासभाके सभापतिकी हैसियतसे, सेठ कल्याणमल सौभागचंदने जैन श्वेताम्बर कान्फ्रेन्सकी हैसियतसे और राय सेठ चांदमलजीन जैन स्थानकवासी कानफरेन्सकी हैसियतसे हस्ताक्षर किये थे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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