SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 727
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६५४ ] अध्याय बारहवां । धर्ममें अब शिथिल हैं धर्ममें स्थिर करनेके लिये ११ महाशयोंकी कमेटी बनी । (२) श्रवण बेलगोलामें एक छात्राश्रम खोला जावे व कोल्हापुर, हुबली और मंगलौरके छात्रालयोंकी मदद की जावे । वहांके छात्राश्रमके लिये एक कमेटी बनी। (३) धर्मादेका सदुपयोग हो । (४) मैसूर दिगम्बर जैन प्रांतिक सभा स्थापित की गई । (५) खिरासतके कानून ठीक कराने के लिये कमेटी बनी । यही मलावार प्रान्तमें जारी आलिया संतानके कानूनको भी ठीक करे जिसस पुत्र जायदादका मालिक न होकर भानना होता है नहीं तो माल सरकार में जप्त हो जाता है । (६) श्री बाहुबलि स्वामी की मूर्तिकी रक्षाके लिये एक फंड स्थापित हो इसमें महा मस्तकाभिषेक सम्बन्धी आमदनी शामिल हो । इसकी व्यवस्था एक कमेटी करे तथा यही इस तीर्थके सुप्रबन्धको भी करें । ___ इस कमेटीके अध्यक्ष-पंडिताचार्य भट्टारक श्रवण बेलगोला व मंत्री जी० के० पद्मराजैय्या बेलगोला हुए । ता० २७ मार्चको श्रवण बेलगोला छात्राश्रमके लिये ८७५०) व कोल्हापुर आदि ३ बोर्डिंगके लिये २२००)का चंदाहुआ । इनमें दानवीर सेठ माणिकचंदने दोनों फंडमें ५०१), ५०१) प्रदान किये। ता० २९के दिन श्री बाहुबलि स्वामीकी प्रतिमाजीपर क्रमशः कलसोंके न्हवनकी बोली हुई। जो पहली बोली ले वह पहला कलश चढ़ावे ऐसा सेठ माणिकचंदीने ठहराव किया । आज तक यहां कभी ऐसा हुआ नहीं था। सेठनीने इस भव्य मूर्तिके रक्षार्थ एक भारी चंदा हो जाय इस निमित्त सर्वको राजी करके यह रीति निकाली । यद्यपि यहांके उपाध्याय इस बातसे कुछ विरुद्ध भी रहे, पर सेठनीकी वातको Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy