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________________ ६५२ ] अध्याय बारहवां की वर्षा की। पालकीपर बिठाया ओर गाजेबाजेके साथ नगरमें ले गए । इधर रिमानके मुवाफिक लोग रास्तेमें नारंगी, नारियल आदि फलोंकी भेट चढ़ाते हुए नमस्कार करते थे। सेठनीकी सवारी शहरमें फिरी । एक स्थानपर फोटो लिया गया। एक खास तंबूमें सेठजीको ठहराया था । इस वक्त सेठ नवलचन्दजी भी सकुटुम्ब पधारे थे । इस समय अनुमान ४०००० स्त्री पुरुष आगए थे । बाबू अजितप्रसाद वकील, पं० अर्जुनलाल सेठी आदि अनेक जन उत्तर भारतसे आए थे । यहां पंचकल्याणकोत्सव भी हुआ था जिसका प्रारम्भ फाल्गुण सुदी ३से हुआ था। ____फाल्गुण सुदी १३को जन्मकल्याण कमें १००८ कलशोंसे दर्शनीय अभिषेक हुआ था । उसी दिन तपकल्याणक, सुदी १४को केवलज्ञानकल्याणक और सुदी १९को मोक्षकल्याणककी अपूर्व रचना हुई थी। इस समय जैनबिद्री महा आनन्दमागरमें निमग्न थी। चहुंओर स्त्री पुरुष दोनों पर्वतोपर मंदिरोंके दर्शन पूजन करते दिखाई देते थे। श्री बाहुबलि स्वामीकी शांति मूर्तिकी पूजन करते हुए चरणों का अभिषेक करते हुए हज़ारों स्त्री पुरुष परमानन्दमें निमग्न दृष्टिगोचर होते थे। स्वागतकारिणी सभाके सभापति अनन्तरानैय्या व मंत्री सेठ वर्धमानैय्या थे । महासभाकी बैठकें चैत्र वदी १ ता० २६ मार्चकी दुपहरसे प्रारम्भ हुई। सभामंडप बहुत बड़ा बना था। इसमें भट्टारक और ब्रह्मचारियोंके बैठनेको भिन्न उच्च स्थान नियत था। कांची, मूडबिद्री, कारकल, कोल्हापुर आदिके भट्टारक ब्रह्मचारी सब Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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