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________________ महती जातिसेवा द्वितीय भाग। [६११ सेठ लालसा भीखासा मालेगांवने हरएक नियम लेनेवालेको एक २ नारियल दिया। सभामें अपील करनेका अवसर न आनेपर जब तीर्थका भंडार मगसर वदी १ को लिखा जाने लगा तब सभाके लाभार्थ सेठ नवलचंदनी मूलचंदनी और उपदेशक दीपचंदनीके साथ कई घंटे तक वहां बैठकर सभामें भी लोगोंसे द्रव्य भराते गये । इस उद्योगसे ४०००) जब भंडारमें भरे तब १०००), सभाके खातेमें भी आए। जिसमें सभापतिने २५१) सेठ माणिकचंद पानाचंदने १०१) प्रदान किये। हर वर्ष यहां ५००) की उपज होती थी पर अबके प्रान्तिक सभा व सेठ नवलचंदजीके परिश्रमसे अच्छी उपज हुई। ता. २० नवम्बरसे २४ तक दक्षिण महाराष्ट्र जैन सभाकी १२ वी परिषद कोल्हापुर में बड़े आनन्दसे कोल्हापुरमें द० म० हुई। चारों ओरसे १०००० जैनी स्त्री जैन सभा और सेठ- पुरुष एकत्र हुए । दानवीर सेठ माणिकचंद जीका १००००)का हीराचंद जे० पी०, सेठ हीराचंद नेमीचंद दान । दोशी, रावजी सखाराम, पंडित दौर्बल्य शास्त्री श्रवण बेलगोला आदि परोपकारी सज्जन भी पधारे थे । पहले दिन सभाके अध्यक्ष श्रीयुत ब्रह्मप्पा मल्लाप्पा तबनप्पवर स्टेशन पर पधारे। स्वागत भले प्रकार किया गया। सभा २॥ बजेसे एक मंडपमें शुरू हुई । स्वागत कमेटीके प्रमुखका भाषण होने पर सभापतिने कनड़ी में व्याख्यान पढ़ा । फिर बोर्डिङ्गके स्थानमें नवीन मंदिर बंधवानेवाले श्रीयुत भूपालराव आप्पाजी जिरगेकी आइल पेईन्टिंग तसबीरके खोलनेकी क्रिया अध्यक्ष द्वारा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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