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- महती जातिसेवा द्वितीय भाग। [५४७ १०) मासिक मदद एक २ वर्षको स्वीकार की थो तथा कुछ स्त्रियों में भी फंड हो गया था । सभाने १० वें प्रस्तावमें नादणीके भट्टारकके मठकी व्यवस्थाके लिये एक कमेटी नियत की उसमें सेठजीको भी मेंम्बर किया तथा छठेमें श्री सम्मेदशिखर रक्षा सम्बन्धी व १५ वे में तीर्थभक्त सेठ चुन्नीलाल झवेरचंदके वियोग पर शोक प्रगट किया गया । इस सभाके नाम बम्बईके गवर्नर सर जार्ज क्लार्कका तार भी आया कि जैनियों में शिक्षाके प्रचारकी उत्तेननामें मैं सहानुभूति प्रदर्शित करता हूं।
“I cordially wish su zcess to your efforts to encourage education among Jains. ”
ता. ३० जनवरीको कोल्हापुर श्राविकाश्रम खोलने का महत श्रीमती मगनबाईजीकी अध्यक्षतामें जिनसेन भट्टारकके मठमें किया गया । १ वर्षके लिये भट्टारकजीने स्थान दे दिया था। डा० कृष्णाबाई केलवकर एल० एम० डो० भी हाजिर थीं। मगनबाईजीने अपने सुन्दर भाषण में-जो उन्होंने मराठी में कहा था क्योंकि बाईजीको गुजरातीके सिवाय मराठी और हिन्दी में भी भाषण करनेका अच्छा अभ्यास था-दिखलाया कि केवल कोल्हापुर प्रान्तमें ५००० जैन विधवाएं हैं तथा दक्षिण महाराष्ट्र में १५०० ० हैं जो ज्ञान बिना व्यर्थ जीवन बिता रही हैं, इनके ज्ञान सम्पादनार्थ हरएक प्रान्तमें श्राविकाश्रम खोलने चाहिये । द. म० सभाको इस कार्यके लिये धन्यवाद है। जो आज यह खोला जाता है । श्रीमतीने ३००) की मदद भी दी व प्रबन्धार्थ कमेटो
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