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________________ महती जातिसेवा द्वितीय भाग। [५३७ माता रूपाबाईने सं० १९६० में १२३४ उपवासके उद्या पनमें २५००) बम्बई बोर्डिंग कमेटीको इस बम्बई बोर्डिंगमें लिये सुपुर्द किये थे कि इसके व्यानसे हर उत्सव। वर्ष कार्तिक सुदी १५के दिन बोर्डिंगमें मंडलकी पूजा करके उत्सव किया जावे, उसीके अनु:सार इस सं० १९६४ में भी हुआ । रात्रिको सभा हुई । अलबरके पं० महाचंद्रजीका संस्कृत विद्याकी आवश्यक्तापर भाषण हुआ। संस्कृत विद्यालय के परीक्षोत्तीर्ण छात्रोंको पारितोषिक और प्रशंसा पत्र दिये गए। इधर जब सेठनी समग्र भारतवर्षके जैनियोंके महा हितकारी कार्य में लगे हुए थे उधर इनकी दीर्वदर्शिनी, श्रीमती मगनवाई- सुविचारधारणी पुत्री अपनी आत्मोन्नति जीका आम करने तथा जैन स्त्रीसमानके उद्धार व अपनी व्याख्यान। लेखन व व्याख्यानशक्ति बढ़ानेके प्रयत्नमें लगी थीं। अर्थप्रकाशिकाजी अच्छी तरह मनन करके आपने श्री पंचास्तिकायका संस्कृत टीकाके साथ मनन किया तथा बृहत् द्रव्यसंग्रहकी संस्कृत टीका देखी । ऐसे ही संस्कृत ग्रंथोंके देखनेका अभ्यास शीतलप्रसादनीकी संगतिमें होता रहा तथा लेख भी लिखकर इन्होंसे शुद्ध करा लेती थी । सामायिक व ध्यानका अभ्यास भी सवेरे व शामको अच्छा होने लगा था। बम्बई में एक हिन्दू यूनियन क्लब है उसकी ओरसे हिम ऋतुमें प्रति शनिवारको अनेक विद्वता पूर्ण व्याख्यान हुआ करते हैं। इस वर्ष वह हेमन्त व्याख्यानमाला सेठजीके मनोहर हीराबागके लेक्चर हॉलमें हुई। ताः ७ नवम्बर ०७ को श्रीमती मगनबाईने 'आये स्त्रियोंके चरित्र' पर एक बहुत ही प्रभावशाली व्याख्यान दिया था। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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