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________________ महती जाति सेवा द्वितीय भाग । [४९९ मूलचंद किपनदासजी कापड़िया अकेले ही पहुंचे थे और सब कार्यों में सेठ माणिकचंदनीके साथ रहकर बराबर योग देते थे। आगामी अधिवेशन गुजरातमें पावागढ़ सिद्धक्षेत्रपर कानेका बडौदेसे सेठ लालचंद कहानदास द्वाराआया हुआ एक पत्र पढ़ा गया, तब सेठ रावनी भाई सखाराम ( सोलापुर ) ने कहा कि नहीं, आगामी अधिवेशन दहीगांवमें करना चाहिये, इस पर सेठ मूलचंद कितनदास कापडि. याने खड़े होकर जोशीली भाषामें कहा कि हमारा गुजरात प्रांत बहुत अंधकारमें है और वहां कभी ऐसा अधिवेशन नहीं हुआ है इसलिये वहांपर ही होना चाहिये आदि, निससे आगामी अधिवेशन गुजरातमें पावागढ़ तीर्थार करना ही निश्चित हुआ । पहले कहा गया है कि आगरा में जैन बोर्डिग खोलनेकी प्रेरणा सेठनी पत्रद्वारा कर रहे थे उसीके आगरामें बोर्डिगके अपरसे दलीपसिंह जैनी डाक्टरने उद्योग करलिये सेठजीका दौरा के फर्वरी मासमें लोगोंको एकत्र करके जो व प्रयत्न । पत्र सेठजीके लाला गोपीनाथ बजाज और बाबू देवीप्रसादनीके पास आए थे उनको पेश किये और जैन बोर्डिगकी बड़ीभारी जरूरत बताई। सर्व साहबोंने बोर्डिंग होना ठीक समझ कर इसका प्रबन्ध शुरू किया, पर वह कुछ चल न सका । तब सेठजीसे पत्र द्वारा प्रार्थना की गई कि यहां २४से ३१ मार्च सने१९०७तक रथोत्सव है उसमें आप पधारें तो सब प्रबन्ध हो जावे । बार २ पत्रोंके आनेसे सेठजी शीतलप्रसादजीके साथ पंजाब मेलसे रवाना होकर ता० २६ की शामको आगरा पहुंचे । लाला गोपीनाथ आदि अनेक भाई स्वागतार्थ स्टेशनपर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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