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महती जातिसेवा प्रथम भाग । [४७७ इसी बंगले में ठहरे थे। आपको बहुत ही आराम मिला तब हीसे मित्रता हो गई थी। मकान बनवानेके काममें सर्कार फलटन आपसे सम्मति लेती थी व आपके द्वारा बम्बईसे सामान भी मंगवाती थी। इसी वर्षके भादो मासमें सेठजीका गमन फलटन हुआ तब वहां एक जैनियोंकी सभामें आपने कन्याविक्रय बंद करनेका ठहराव पास कराया। इसको अमल में लानेके लिये फलटनके दो तीन भुखियोंने वचन दिया । इसकी खटपट करनेके लिये सेठजीने रु० २५) सभाको भेट भी किये। बरार और मध्य प्रदेश दिगम्बर जैन प्रान्तिक सभा भी कई
वर्षसे धीर २ कुछ २ सुधार बरारकी ओर सेठजी वरार प्रा० स- कर रही थी जिसके मुख्य कार्यकैर्ता रा. रा. भाके सभापति और जयकुमार देवीदास चौरे बी. ए. बी. एल.. भ्रमण। वकील अकोला थे । इसका चौथा वार्षि
कोत्सब मिती कार्तिक वदी ५-६ ता० ६ व ७ नवम्बर १९०६ को भातकुली अतिशय क्षेत्रमें होनेवाला था। यह क्षेत्र अमरावती नगरके पश्चिम १० मीलके अनुमान है । रास्ता बहुत टुटा फूटा खराब है । बैल गाड़ी ३ घंटेमें जाती है। यहां चतुर्थ कालकी अति मनोज्ञ श्रीआदीनाथ स्वामीकी पद्मासन दिगंबर जैन मूर्ति है। आसपास इसकी बहुत . महिमा है । इसके लिये सेठ माणिकचंदनीकी सभापति होनेकी स्वीकारता ले ली गई थी। बम्बईसे सेठ माणिकचंदनी अपनी सुपुत्री मगनबाईनीके साथ तथा शोलापूरके सेठ हीराचद नेमचन्दके पुत्र बालचंद तथा बावू शीतलप्रसादके साथ अमरावती गए। वहांके भाइयोंने
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