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...... अध्याय दूसरा ।
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ईस्टइंडिया कम्पनीकी कोठीमें ८७ लाखका माल था । कोठीपर सर जार्न ओकसेन्डनने बड़ी चतुराईसे काम किया। अपना माल बचानेके सिवाय साहूकारोंकी भी रक्षा की तो भी शिवाजी ३० करोडका माल लूट ले गये। साहूकारोंने अंग्रेजोंकी तारीफ बादशाह देहलीको लिख भेजी । इससे प्रसन्न हो बादशाहने ३॥ रु०के बदले सिफ १) सैकड़ा जकात कर दी। १६७० में फिर शिवाजीने ३ दिन सूरत लूटा । इस वक्तंसे मि० कुक ऐसे अंग्रेजोंने भी लूट-पाट शुरू कर दी। १६८० में एक मक्के जाते हुए जहाजको लूटनेसे बादशाहने जकात फिर ३॥) रु० कर दी । इधर कम्पनीने टकसालमें रुपया बनाने का हुकुम बादशाहसे ले लिया। इस वक्त फ्रेंच लोग भी सूरतमें खूब व्यापार कर रहेथे । १६८७ में कम्पनीकी सत्ता बम्बई में होजानेसे व्यापरका जमाव
___ सूरतसे उठ कर बम्बई होने लगा। इस अंग्रेजोंकी सत्ताका वक्त एक अंग्रेज सर जान चाइल्डेने जमना। कम्पनीके नामसे सुरतमें खूब व्यापार
किया । पर किसीको कुछ न दिया । बादशाहके हुकमसे हैरिस और ग्लैडस्टोन कैद किये गये । पर यह चाइल्डे भागकर बम्बई गया। ४० जहाज़ मुगलोंके और पकड़े तब लोगोंका विश्वास जाता रहा । बादशाहने अंग्रेज व फ्रेंच आदि परदेशियोंको बहुत धमकाया; पर फल कुछ न हुआ। उधर देहलीमें भी मुगल सल्तनत मौज़ व शौकमें पड़ने लगी। इधर सुरतमें भी सत्ता ढीली पड़ गई। - सन् १७३४ में मराठोंने कुछ गांव दाव लिये तथा पेशवा
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