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________________ महती जातिसेवा प्रथम भाग । [३८९ नजी जैन बोर्डिंगमें श्रीयुत शोलापुर निवासी सेठ वालचंद रामचंदके सभापतित्वमें सभा हुई थी। बोर्डिंगके कार्य विवरणको सुनकर इसकी उपयोगिता प्रगट हुई, पं० बंसीधरको धार्मिक विषयमें निपुणताके अर्थ एक सुवर्ण पदक दिया गया और शेष धर्मशिसामें उत्तीर्ण बोर्डरोंको इनाम दिया गया। सेठ माणिकचंद व प्रेमचंदकी तीन वार जय कही गई । ३००) उपस्थित मंडलीने लाइब्रेरीमें दिये। सेठ माणिकचंदको अपनी जातीय सेवाका यश मिलते हुए देखकर बहुत संतोष हुआ। दक्षिण महाराष्ट जैन सभाका वार्षिक अधिवेशन माघ वदी १४ से माघ सुदी २ ता: ३से ६ फर्वरी १९०५ स्तवनिधिपर द० म० तक स्तवनिधि क्षेत्रपर पड़े समारोहसे जैन सभा। हुआ। अध्यक्ष श्रीयुत सेठ नेमीलाल गुला बसाह नागपुरवाले हुए थे। वरारसे बहुत महाशय आए थे । सेठ माणिकचंदजी स्वागत कमिटीके प्रमुख थे सो पहले ही पहुंचे थे। ता: १ को स्टेशनपर सभापतिका स्वागत किया गया । शिक्षणफंडमें ३०००) की उपज हुई । रा० रा० दादा तात्या चिवटे कुरुंदेवाड़ने १००) उत्पन्नकी जमीन दो। क्षेत्र भंडारमें ३०००) के अनुमान आय हुई सो क्षेत्रमें मरम्मतकी आवश्यक्ता जान सेठ माणिकचंदजीके यहां जमा करा दी गई । सभामें ८ वा प्रस्ताव इस विषयका रा० रा० लट्टे एम. एक ने पेश किया कि जैनियोंकी संख्याकी कमीके कारणोंको दूर किया जाय उसके लिये सभा सम्मति देती है कि दुर्व्यसन जन्य रोगोंके फैलाव व बालविवाह आदि कारणोंको रोका जाय । इसका समर्थन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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