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महती जातिसेवा प्रथम भाग ।
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अध्याय दशका।
महती जातिसेवा प्रथम भाग । सन् १९०५के प्रारंभ ही से सेठ माणिकचंदके जीवनचरि
"त्रमें नया गुल खिलता है। अब तक सेठनीकी परोपकारताका केन्द्र अपनी और अपनी पत्नी इन दोनोंके जन्मस्थान दक्षिण
और गुजरातकी ही तरफ था पर अब क्षेत्र बढ़ते २ सारा भारतवर्ष हो गया । सर्व दिगम्बर जैन जातिका कल्याण पहले आप केवल मनसे ही चाहते थे पर अब वचन और कायसे भी करना प्रारंभ किया, यहां तक कि सारे भारतके भाई आपकी परोपकारताको कभी भूल नहीं सक्ते। . भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभाके वार्षिक अधिवेशन
__स्थान चौरासी मथुरा ही में होते थे पर लाला अंबालामें महासभाका बनारसीदास जॉइन्ट जनरल सेक्रेटरी महाजल्सा और सेठ सभाके दृढ़ प्रयत्नसे इसका दशवां वार्षिक माणिकचंदको अधिवेशन अम्बाला छावनी में ता० २८ धन्यवाद। दिसम्बर १९०४ से ता० ३० तक बड़े
भारी समारोहके साथ हुआ था। पहली बैठकमें लाला सलेखचंद रईस नजीवाबाद सभापति हुए थे तब प्रस्ताव नं. ४ इस तरहका पास हुआ कि " महासभा
सेठ माणिकचंद पानाचंदजी साहब जौहरी बम्बई निवासी· को धन्यवाद देती है कि उन्होंने पंडित कन्हैयालाल शेरकोट
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