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________________ समाजकी सच्ची सेवा । [३१९ लिये पं. गोपालदासनीने एक मासिक पत्रकी आवश्यक्ता बताई। सबके ध्यानमें जंचने पर "जैन मित्र" पत्रके निकालनेका निश्चय किया गया। सम्पादक पं. गोपासदासजी वरैया और प्रोप्राइटर सेट माणिकचंदजी नियत हुए। आपने स्वीकार किया तथा पत्रमें यदि घाटा रहे तो दो वर्षके वास्ते अधिकसे अधिक १००) साल सेठ माणिकचंद पानाचंदनी और ५०) साल सेठ नाथारंगजीन दना स्वीकार किया। सेठजीको समाजोद्धारका कितना प्रेम था इसका यह भी एक नमूना है। बम्बई में शीघ्र ही बोर्डिंगका मकान सेठ माणिकचंदनीके प्र यत्नसे तय्यार हो गया जिसका वास्तुविधान सेठ हीराचंद गुमानजी (मुहूर्त) मिती मगसर सुदी ६ को बड़ी धूमजैन बोर्डिंगका महूर्त । धामके साथ किया गया। इस बोर्डिंगका नाम सेठ पानाचंद आदि सेठोंने अपने पूज्य पिताके स्मरण के लिये उन्हींके नामसे सेठ हीराचंद गुमानजी जैन बोर्डिंग रक्खा । बोर्डिंगके लिये २६०४ वार जमीन ली गई थी। इस पर तीन खनकी सुन्दर इमारत छात्रोंके रहनेके लिये बनाई गई जिसकी इमारतकी स्थावर मिलकियत २५०००) की तथा बोर्डिगके मकानके सामने इसी ज़मीनमें ४००००) की मिलकियतका एक मकान बनाया गया जिसका भाड़ा बोर्डिगके खर्च में लगे तथा ५०००) की खुली जगह गिल्ड स्ट्रीटके नाकेपर रक्खी गई। कुल ७००००) स्थावर मिलकियतमें १२५०) फरनीचर, ४५०) रसोईके वर्तन इस तरह ७१७००) दृष्टी फंड खाते रखकर यह रकम चारों सेठोंकी तरफसे नीचे लिखे टूष्टियोंको ५ अप्रेल सन् Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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