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लक्ष्मीका उपयोग।
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भोजनके समय लेकर बैठते थे, फुरसतके समय खिलाते थे, धमकी बातें बताते थे और पास ही शयन कराते थे। जब यह शाला जाने योग्य हुई तब इसको भी भेजा।
इस समय भारतमें लार्ड रिपनके पीछे लार्ड डफरिन वाइसराय थे। इनके समयमें अमीर काबुलसे जो कई वषोंसे झगडा चलता था मो शांत हो गया, सरकारसे गाढ़ी मित्रता हो गई ओर प्रति वर्ष एक लाख २० हज़ार पाउंड अमीर काबुलसे सोको मिला करे, ऐसा ठहराव हो गया। तथा ब्रह्माका मुल्क जो अब तक स्वतंत्र था सो सन् १८८५ में भारतमें मिला लिया गया, इससे ब्रह्मा और भारतमें व्यापारकी वृद्धि होने लगी। सेठ माणिकचंदकी सूचनाके अनुसार सेठ हीराचंदजी जैन
मा बिदी और मूलबिद्रीकी यात्राको शोधपुरसे सेठ हीराचंद नेमचं- मगसर सुदी ६, सं० १९४१ को रवाना हुए दकी जैनविद्री मूल- और गुज० प्रोष वदी ११ को लौट आए। बिद्रीकी यात्रा। यह शोलापुरसे रायचूर आरकोनम होते हुए
___ बेंगलोर शहर पहुंचे । वहाँ एक जिन मंदिर नया देखा परंतु उसमें प्रतिमाएं सब पुरानी देखीं सिर्फ मूल नायक कायोत्सर्ग पीतलके बिम्बको सं० १९३९का श्रवणवेल गोलाके पारशनाथ शास्त्री द्वारा प्रतिष्ठित पाया। यहाँ प्रतिमाओंके इधर उबर दो भिन्न सिंहासनों पर पद्मावती देवीको विराजित राया पर क्षेत्रपालकी स्थापना कहीं नहीं देखी । यहाँ २० जैन घर हैं मंडीमें जैन जिणापा मंदिरकी व यात्रियोंकी अच्छी सम्हाल रखते हैं। इनके पास कनड़ी भाषामें द्वादशानुप्रेक्षा छपी हुई देखकर
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