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________________ उच्च कुलमें जन्म । [ ७५ मूलसंघ सरस्वती गच्छ सकलकिर्ति, देवेन्द्रकीर्ति, पट्टे श्री.... कीर्तिद्वारा सूरतवासी हूमड ज्ञातीय विमलदास माणकजी नेमिदास आदि प्रतिष्ठा कराई । इससे भी सुरतके हमड़ों की धनाढ्यता व धर्मज्ञता झलकती है। १७६४ सुमतिकीर्ति १७६८ - श्री वासुपूज्यस्वामीकी - इसकी प्रतिष्ठा भट्टारक नरेन्द्रकीर्ति द्वारा महुआ वासी हूमड जातीय साह दादा नानजीने कराई । गुजरात देशके श्री तारंगाजी सिद्धक्षेत्रपर एक चांद सूरजकी देहली है उसके भीतर जो शिला लेख है उससे विदित होता है कि उसे दिगम्बर जैन हूमड़ ज्ञातीय गांधी नरपति आदिने बनवाया था। जीर्णोद्धार कराया था। उस लेखकी नकल जो पढ़ी गई और जैनमित्र ता० २१ नव० १९०७ में छपी है सो यह हैं: " संवत १६२५ वर्षे पौष वदी ५ शुक्ले श्री मूलसंधे सरस्वती गच्छे बलात्कार गणे आचार्य कुन्दकुन्दाचार्य भट्टारक श्री शुभचंद्रस्तत्पट्टे भट्टारक श्री सुमतिकर्ति गुरूपदेशात् .... हूमड़ ज्ञातीय गांधी नरपति भार्या...... हूमड़ोंकी वस्ती | हूड़ोंकी वस्ती अर्थात् मनुष्यसंख्या दिगम्बर जैन डाइरेक्टरी छपी सन् १९१४ के अनुसार ( देखो सफा १४२० ) इस भांति है । बंगाल मध्य | राजपूताना गुजरात और कुल वीसा हूमड विहार प्रदेश और मालवा बम्बई आहाता X x ८४६ १७०९ दसा हूड ३ ४५ Jain Education International ४५ | १०६३९ १०६३९ | ७३९२ २,५६६ | १८०७९ कुल २०६३४ www.jainelibrary.org For Personal & Private Use Only
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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