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(१७) सदस्य भी रहे। भारतीय इतिहास, परिषदके सदस्य, हिन्दी साहित्य सम्मेलन एटाकी पडीगंज शाखाके संयोजक रहे। कांग्रेसके आन्दोलनों में भी सक्रिय भाग लेते रहे।
बैसे तो बाबूजी चुनायके चका में कभी नहीं पड़े फिर भी जवान जोग उन्हें पद देते रहे, ये पद-पदके लिये नहीं और न समाजमें सम्मान अथवा नाम प्राप्तिकी इच्छाके लिये वरन् जिनपदों पर अथवा जिन संस्थानों और समितियों में रहे उनमें जीजानसे तन, मन और धनसे सेवा करते रहे।
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