________________
१३८)
जैन समाजके जवाहर यह दुसही नहीं शोक ही नहीं परन्तु कमर तोड और दिल बिठानेवाला एक रोग है। जो हमेशा सताता रहेगा। एक सच्चे प्रेमी, अहिंसा भक्त, जैन समाजका सूर्यास्त हो जानेसे मैं ही नहीं समाज ही अंग हीन हो गया है। जैन समाजका रत्न, जैन समाजका सुधारक, प्रचारक, जैन मिशनका संचालक, जैन अहिंसाका देवता और ज्ञानका सितारा, बल्कि सूर्यको स्वर्गके ठण्डे बादलोंने हमेशाके लिये अपनी गोदमें छिपा लिया है । जिसको कभी न देख सकेंगे। लेकिन यह जरूर आशा है वो इन बादडोंको अपनी ज्ञानकी शक्तिसे चीरता हुआ हम तक प्रकाश फेंकता ही रहेगा और रास्ता दिखाता रहेगा।... जिम जैन समाजके जवाहरने भारतके ही नहीं राष्ट्रके जवाहर के लिये रास्ते में भागे आगे चलकर जवाहारात बिछाने के लिये अपने आपको जवाहरके लिये बलिदान कर दिया उन जवाहारातोंकी महान मात्माओंको मेरा मस्तक झुकाकर बार बार श्रद्धांजलि स्वीकार हो। धनबाद (बिहार)
रामप्रसाद जैन
"बाबूजीने अचिन्त्य कार्य करके दिखाया और भारत के अलावा विश्व में अहिंसाका डंका बजा दिया और जैनधर्म व अहिंसाका प्रभाव लाखों प्राणियोंपर फैला दिया । बाबूजीकी शोधखोज गजब की थी। हमारे तीर्थंकरोंकी वाणीको विशेषांकों द्वारा कैसे विस्तृत ढंगसे सर्व साधारणके हाथमें पहुंचाई।
लक्ष्मीला सेठी।
मंदसौर,
बाबूजी व्यक्ति नहीं थे एक संस्था ही थे, बड़ी लगनवाले धुनी व्यक्ति थे। एक अनमोल रत्न चला गया। पटना सिटी,
बद्रीप्रसाद पराकमी
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org