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जेन कैसे हुये" जैसे उच्च कोटिके ११ लेखोंका संकलन है।
इन लेखोंका अंग्रेजीसे हिन्दी में बड़ी परल भाषामें अनुवाद किया गया है जिससे हिन्दी पढ़ेलिखे व्यक्ति धमकी विशेषताओं तथा विदेशी व्यक्तियोंका जैन धर्मके प्रति झुकावके कारणोंको भलीभांति जानकर लाभान्वित हो सकें।
प्रयास करनेके बाद भी भगवान महावीर, प्राचीन जैन लेख संग्रह, जैन जातिका ह्रास, संक्षिप्त जेन इतिहासके विभिन्न खंड, भ० पार्श्वनाथ, विशाल जैन संघ, भगवान महावीर और उनका उपदेश, गांधीजी, बिचार और बितक, अरिष्टनेमि और कृष्ण, मुनिसुव्रत और यज्ञवाद, जैनधर्म सिद्धांत, असहमत संगम, सनातन जैनधर्म, जैनधर्म सिद्धांत, अमर जीवन और सुख, बात्मिक मनोविज्ञान, श्रद्धा ज्ञान चरित्र, ध्यानकी एकाग्रता और निर्वाणकी कुञ्जी आदि पुस्तकें उपलब्ध न हो सकी हैं। अतः उनकी आलोचनात्मक विवेचना करना संभव न हो सका है।
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