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(१०८) बाबूजीने प्रकाशित किये हैं। वास्तव में बापूने अपने प्रारम्भिक जीवनमें कविराजसे काफी प्रेरणा भी प्राप्त की थी। ___ आत्मा, कर्मका बन्धन, ईश्वर, मोक्ष, मोक्षकी सम्भावना, मृत्युके बाद जन्म लेनेकी स्थिति, आर्य धर्मकी व्याख्या, वेदोंकी महिमा, भगवद्गीता, ईसाई धर्म, बाईबिल और क्रिस्ट, पिछले
और अगले जन्मकी बातें, प्रलय, भाग्य, भक्ति, राम, कृष्ण, ब्रह्मा, विष्णु और महेशका परिचय, अहिंसाकी समस्या आदि विषयों पर प्रश्न और उत्तर भी दिये हैं। साथ ही आत्मसिद्धि "शन्दकी व्याख्या करके भी विचारोंको स्पष्ट किया और आशा
“ Though the book is small but it will certainly prove a guide and solace to many a forlorn wayfarer of the rough road of life.”
[यद्यपि पुस्तक छोटी है फिर भी जीवनके ऊबड़ खाबड़ मार्गसे विचलित व्यक्तियों के लिये निश्चित रूपसे मार्गदर्शक तथा सान्तवनाकारी सिद्ध होगी।
Bahubali
बाहुबली And his wonderful colossal statue
और उसकी आश्चर्यजनक तथा विशालकाय मूर्ति ।
सन् १९५९में ८ पृष्ठीय इस ट्रेक्टका अंग्रेजी में प्रकाशन हुआ। “इसमें प्राचीन संत श्री बाहुबली (जो भुजबली और कामदेवके नामसे भी विख्यात हैं)का जीवन चरित्र दिया है, साथ ही इनके भाई भातका भी वर्णन है दोनोंके गा कार्यका हाल भी इसमें दिया है। साथ ही बाहुबलीकी विशालकाय और आश्चर्यमें
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