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महावीरका निर्वाण दिवस इंग्लैण्डके जैन समाज द्वारा Caxtone Hall. भवन बन्दनमें मनाया गया। प्रोफेसर बाई.जे. Padma. rajiah उसके अध्यक्ष बनाये गये । मिस्टर जालफ्रेड मास्टर C. I. F.. का व्याख्यान "भारतमें जैनियों की स्थिति" विषय पर हुआ था। वह भाषण भी लोगोंको जानकारीके लिये इस ट्रक्टमें दिया गया है। बीच बीच में बाबूजीने संक्षिप्त नोट देकर अपने विचार प्रकट किये हैं। जिससे पद ज्ञात होता है कि विदेशों में भी जैन धर्मकी
स्था कितनी है। और प्रचारकार्यमें कितनी रुचि लेते हैं।
आत्मसिद्धि (Self-Realization)
४८ पृष्ठीय यह पुस्तक श्रीमद् राजचन्द्र द्वारा रचित है पर' इसका संस्कृत रूपान्तर पं० बेचरदासजी, हिन्दी रूपान्तर श्री बीरेन्द्रप्रसादजी और अंग्रेजी रूपान्तर कविताके रूपमें ब्रह्मचारी श्री गोवरधनदासने किया है । जिसका परिचय प्रारम्भमें २७ पृष्ठोंमें अंग्रेजीमें सितम्बर सन् ५२ में बाबूजीने लिखा है। वैसे इसका प्रथम संस्कारण ५७ में निकाला था जिसमें लेखकका प्रमुख उद्देश्य, लेखककी जीवनी, प्रमुख शिक्षाएं, सादा जीवन और उच्च विचारकी भावना, महात्मा गांधी और कषि राजचन्द्रजीकी भेट तथा प्रेरणाप्रद प्रसंगोंका वर्णन किया है। जब महात्मा गान्धी दक्षिणी आक्रोका गये वहां उन्हें अपना जीवन सुचारू रूपसे चलाने में कठिनाई हुई तो उन्होने कवि राजचन्द्रको पत्र लिखकर अपनी शंकाएं समाधान करवाई। लगभग २७ प्रश्न पूज्य बापूने कविराजसे पत्र व्यवहार द्वारा पूछे थे। - सपा प्रश्नोंका उत्तर जो कविराजने पापूको दिया। उनके उत्ता भी
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