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सम्यक्त्वी-मिथ्यात्वी : एक दृष्टि में सम्यक्त्वी
मिथ्यात्वी १. मोक्षाभिमुखी होता है।
१. संसाराभिमुखी होता है । २. अन्तरात्मा एवं परमात्मा होता है। २. बहिरात्मा होता है। ३. संसार सीमित कर लेता है।
३. अनन्त संसार शेष रहता है। ४. सकाम निर्जरा करता है।
४. अकाम निर्जरा करता है। ५. आत्मिकसुख को वास्तविक सुख मानता ५. पौद्गलिक सुख को वास्तविक सुख मानता है।
६. कर्म-बंधन अल्प स्थिति वाला करता है। ७. भाव से भी संयम की साधना करता है।
६. कर्म बंधन उत्कृष्ट स्थिति तक करता है। ७. संयम की साधना भी करे तो मात्र द्रव्य
साधना करता है। ८.कुंदेव, कुगुरु एवं कुधर्म पर श्रद्धान करता है।
८.सुदेव, सुगुरु एवं सद्धर्म पर श्रद्धान करता
९. जीवादि तत्त्वार्थों पर श्रद्धान करता है। १०. आत्म-अनात्म का भेदज्ञान कर लेता
९. जीवादि तत्त्वार्थों पर श्रद्धान नहीं करता है। १०. आत्म-अनात्म का भेदज्ञान नहीं कर पाता।
११. इन्द्रिय-विषयों के प्रति उदासीन रहता
११. इन्द्रिय-विषयों में आसक्त रहता है।
१२. अनन्तानुबन्धी चतुष्क एवं दर्शनत्रिक का
क्षयादि नहीं कर पाता है।
१२. अनन्तानुबन्धी क्रोध, मान, माया, लोभ
एवं दर्शनत्रिक का क्षय, उपशम या
क्षयोपशम कर लेता है। १३. अनन्त संसार का बन्ध होना रुक जाता
१३. अनन्त संसार का बन्ध चालु रहता है।
१४. बंध कम एवं निर्जरा अधिक होती है। १५. भोगों के त्याग में अपना हित मानता
१४. बंध अधिक एवं निर्जरा कम होती है। १५. भोगों में जीवन बुद्धि होती है ।
१६. परिवार में गृद्ध एवं आसक्त रहकर उलझा
रहता है। १७. अज्ञानी बना रहता है। १८. हेय, ज्ञेय एवं उपादेय के विवेक से रहित
होता है। १९. यथाप्रवृत्ति करण से आगे नहीं बढ़ पाता।
१६. परिवार में रहकर भी निर्लिप्त भाव से
पालन-पोषण करता है १७. सम्यग्ज्ञान युक्त हो जाता है। १८. हेय, ज्ञेय एवं उपादेय के विवेक से
युक्त होता है। १९. यथाप्रवृत्ति, अपूर्व एवं अनिवृत्तिकरण
कर लेता है। २०. निःशङ्का आदि आठ अंगों से युक्त
होता है। २१. जिनवाणी पर अटूट श्रद्धा रखता है। २२. अल्प-तप-त्याग से भी कर्मों की महती
निर्जरा करता है। २३. पण्डित मरण का वरण करता है। २४. अपने ज्ञान का उपयोग समभाव की पुष्टि और आत्मजागृति में करता है, सांसारिक विषय-वासना की पुष्टि में नहीं।
२०. निःशङ्का आदि आठ अंगों से युक्त नहीं
होता। २१. जिनवाणी पर शङ्कादि दोषों से युक्त होता २२. अधिक तप-त्याग करने पर भी अल्प निर्जरा
करता है। २३. बाल-मरण से मरता है। २४. इसकी विचारधारा सम्यक्त्वी की विचारधारा
के विपरीत होती है।
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