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उत्साह बताया और पूज्यश्री क सेवा की। वेरावल में पूज्यश्री के बिराजने से संघ ने खूब धर्मध्यान किया। पूज्यश्री ने वर्धमान मुनि को उपाध्यायजी श्री प्यारचन्दजी म. सा. की सेवा में समर्पित करने के लिए पं. रत्न मुनिश्री कन्हैयालालजी महाराज ठा. ३ को खानदेश की ओर भेजे। मुनि श्री कन्हैयालालजी म० खानदेश मध्यप्रदेश, राजस्थान गुजरात आदि प्रदेश में विहार कर पुनः पूज्यश्री की सेवा में पहुंच गये । पूज्यश्री वेरावल में कुछ काल बिराजकर हाटी के मालीये में पधारे । इधर जामजोधपुर के श्री संध को पूज्य श्री हाटी के मालिये पधारने की सूचना मिली तो यहां के संघ ने सोचा कि पूज्य श्री का चातुर्मास अपने यहाँ कराया जाय तो जनता को बहुत लाभ मिलेगा । हमारे धार्मिक ज्ञान में वृद्धि होगी । यह सोचकर मुख्य श्रावक श्रीमान् सेठ पोपटलाल मावजीभाई, नगर सेठ श्री प्राणलालभाई सेठमाणेकचन्दभाई, छगनलाल भाई वीरचन्दभाई आदि श्रावकों का डेप्युटेशन पूज्यश्री की सेवा में आया और आगामो चातुर्मास अपने यहाँ करने के लिए विनंती करने लगा। जामजोधपुर निवासी श्रावक श्राविकाओं की इस प्रकार उत्कृष्ट श्रद्धा तथा विपुल उत्साह को देखकर आप श्री ने आगामी २०११ का चातुर्मास जामजोधपुर में सुखे समाधे द्रव्य, क्षेत्र काल भाव का आगार रखकर स्वीकार किया । श्रावकों में प्रसन्नता छागई । वहां से विहार कर आपश्री सोरठ,बंथली, उपलेटा, खारवीजालिया भायावदार पानेली, भ्राफा होते हुए आप चातुर्मासार्थ जामजोधपुर पधारे । श्रीसंघ ने आपका भव्य स्वागत किया ।
वि. सं. २०११ का ५३ वां चातुर्मास जामजोधपुर में
जामजोधपुर में प्रतिदिन प्रातः प्रार्थना और बादमें आप व्याख्यान फरमाने लगे । व्याख्यान आदि के समय जनता की उपस्थिति अच्छी रहने लगी । धर्मध्यान खूब होने लगा । पूज्य श्री का शास्त्र लेखन का कार्य अत्यन्त उत्साह के साथ चलता रहा । पूज्यश्री के चातुर्मास के बिराजने से काफी संख्या में बाहर से दर्शनार्थी उपस्थित होने लगे । श्री संघ बाहर से आनेवाले सज्जनों की भोजनादि से खूब सेवा करने लगा। इस चातुमास काल में शास्त्रोद्धार समिति के उपप्रमुख जामजोधपुर के प्रतिष्ठित व्यक्ति एवं अत्यन्त धर्म प्रेमी चिन्तक श्रीमान पोपटलाल मावजीभाई महेता तथा श्रीसंघने अत्यन्त तन मन धन से सेवा बजाई। और चातुर्मास को सफल बनाने के लिए अथाग परिश्रम किया । श्रीमान सेठ पोपटलालभाई के बडे सुपुत्र प्राणलालभाई ने अत्यन्त उदारता का परिचय दिया । आगन्तुक सज्जनों की बडी सेवा को। आपने पूज्यश्री की सेवा करके ऊँचा आदर्श उपस्थित किया। प्रति वर्ष के अनुसार इस वर्ष भी घोर तपस्वीद्वय श्री मदनलालजी महाराज सा० तथा श्री मांगीलालजी महाराज ने ८२-दिन की कठोर तपश्चर्या की । तपश्चर्या की पूर्णाहति की सूचना सर्वत्र पत्र पत्रिकाओं द्वारा भेजी गई । पत्रिकाओं में तपस्वीजो की तपश्चर्या का पूर्णाहति दिन को सफल बनाने के लिये निम्न बातों का सूचन किया गया
१-जीव हिंसा न करना २-मद्य मांस आदि दुर्व्यसनों का त्याग । ३-सम्पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन ४-उभयकाल प्रभु प्रार्थना करना और दीन अनाथों की सेवा करना ५-उस दिन गौ, भैस आदि के बछड़ों को अन्तराय नहीं देना अर्थात् उन्हें दूध पिलाने में अन्तराय नहीं डालना । ६-आरंभ सारंभ की प्रवृत्ति का यथाशक्ति त्याग रखना ।
इस सूचना को हजारों गांववालों ने अत्यन्त श्रद्धा के साथ पालन किया । जामजोधपुर में उस दिन जैन अजैन समस्त गांववाले भाईयों ने व्यापार बन्द रखा । सर्व कसाई खाने बन्द रखे । सामूहिक प्रार्थना का आयोजन किया गया । समस्त गांव वालों ने पूज्यश्री के आदेशानुसार ॐ शान्ति की प्रार्थना की । इस पूनीत अवसर पर बाहर से बडी संख्या में लोग उपस्थित हुए । स्थानीय संघ ने उनका भोजनादि से स्वागत किया । दान तपश्चर्या, त्याग प्रत्याख्यान, प्रभावनाएं आदि शुभ कार्य हुए ।
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