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आया । अवसर देखकर पूज्य श्रीने विनंति स्वीकार कर ली। सफल चातुर्मास पूर्ण कर पूज्य श्री ने अपनी शिष्य मण्डली के साथ दामनगर से विहार किया । दामनगर से आप ढसा जंशन पधारे ॥ ढसा में दीक्षा समारोह
जैन मूर्तिपूजक साधु दीपविजयजी को मूर्तिपूजा सावध क्रिया है । सावध किया धर्म के नाम से करना कराना दुर्गति का कारण है। ऐसा समझकर दोपविजयजी ने मूर्तिपूजक वेश छोडकर ढसा जंक्षन की धर्मशाला के बाहर अशोक वृक्ष के नीचे प्रात: १०॥ बजे स्थानकवासी जैन दीक्षा ग्रहण की । दीक्षा के बाद उनका नाम देवीलालजी महाराज रखा गया । दीक्षा प्रसंग पर दामनगर. ढसा, लाठी आदि का संघ उपस्थित था। दीक्षा ता० ४-११-४४ के दिन सम्पन्न हुई । दीक्षा के उपकरण दामनगर संघ ने दिये ।
ढसा से घोजिंशन उमराला सोहनगढ शिहोर आदि क्षेत्रो को पावन करते हुवे आपश्रीमांडवे गांव में पधारे । मांडवे के संघ ने आपके आगमन के दिन पाखी रखी । पाखी के दिन समस्त प्रकार की आरम्भ प्रवत्ति बन्ट रखी गई। पाखी के दिन गांव वालों ने ४ चार मन गुड की प्रभावना की। यहां सात घर होने पर भी लोगों की धार्मिक श्रद्धा बडी अच्छी है। यहां सुन्दर उपाश्रय भी है । संघ के प्रमुख सेठ रतिभाई चत्रभुज ने पूज्य श्री की बहुत अच्छी सेवा की। जब धोला पधारे तब पं० श्री मनोहरलालजी महाराज ठाना २ पूज्य श्री की सेवा में आ गये इस प्रकार पूज्य श्री ठाना नौ के साथ भावनगर पधारे ।
पूज्य श्री के आगमन से भावनगर की जनता में अपूर्व उत्साह छा गया। भावनगर की जनता ने आप का भव्य स्वागत किया महाराज श्री को विशाल जैन स्थानक में उतारे गये आप के प्रतिदिन प्रभावशाली प्रवचन होने लगे।
भावनगर स्थानकवासी जैन श्री संघ के मुख्य २ कार्यकर्ताओं ने एवं श्री रंगीलदासभाई कोठारी आदि के सप्रयत्न से एक दिन विश्वशान्ति के लिए ॐ शान्ति की प्रार्थना का आयोजन किया गया । इस दिन समस्त नगर में पाखी रखी गई, नगर के कसाईखाने बन्द रखे गये । जिससे सैकडों जीवों को अभयदान मिला, भावनगर के प्रसिद्ध यशोनाथ महादेव के मन्दिर के प्रांगन में विश्वशान्ति के लिए जाहिर प्रवचन सभा का आयोजन किया गया । प्रवचन सुनने के लिए भावनगर की हजारो की संख्या में जनता एकत्रित हुई । सर्व ने खडे होकर ॐ शान्ति की धून लगाते हुए ईश्वर प्रार्थना की। पूज्य श्री ने एवं अन्य मनिराजों ने प्रार्थना पर १॥ घंटे तक प्रवचन दिया। प्रवचन का जनता पर अच्छा प्रभाव पड़ा। इस अवसर पर. सौराष्ट्र के प्रसिद्ध कवि एवं देशभक्त दुलहराय 'कवि काग' ने बडी हृदय स्पर्शी कविता सुनाई । इस पुण्य अवसर पर नगर के उच्च अधिकारी एवं अन्य प्रमुख व्यक्ति भी उपस्थित थे, बाहर के दर्शनार्थी भी अच्छी संख्या में उपस्थित थे । इस सुन्दर आयोजन से भावनगर की जनता बडी प्रभावित हुई । शास्त्रोद्धार समिति की स्थापना--
दामनगर से प्रारम्भ हुए शास्त्रोद्धार के कार्य को व्यवस्थित करने का प्रयत्न भावनगर में हुआ। इस कार्य को साकार रूप देने के लिए जामनगर के रहनेवाले हाल बोटाद से सेठ श्री छबीलदासभाई कोठारी एवं उनके लघु भ्राता भावनगर निवासी सेठ रगीलदास भाई कोठारी दामनगर के सेठ जगजीवन रतनशीभाई बगडीया राजकोट के तत्वज्ञ सेठ श्री गुलाबचन्दभाई पानाचन्दभाई महेता रतलाम के सुश्रावक श्री सोमचन्द तुलसीदास भाई ने खूब अच्छा प्रयत्न किया । ईनके सुप्रयत्न से शास्त्रोंद्धार के पवित्र कार्य को अच्छा वेग मिला और सेठ श्री शांतिलालभाई मंगलदासभाइ को प्रमुख बनाकर शास्त्रोद्धारसमिति की स्थापना हुई। भावनगर में आप भक्तिबाग में ठहरे थे और व्याख्यान के लिए स्थानक में पधारते थे, शास्त्रो के कारण व शरीर के कारण कुछ समय भावनगर में बिराजकर आपने नौ मुनिराजों के साथ बिहार कर दिया। यहां से
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